________________ श्रीभगवत्यङ्ग श्रीअभय वृत्तियुतम् भाग-३ // 1486 // 25 शतके उद्देशक:६ सूत्रम् 752-755 रागादिकल्पाः सयंमाः प्रतिसेवा 25346063036038530300355020335 पुच्छा, गोयमा! नो जिणकप्पे होज्जा नो थेरकप्पे होज्जा कप्पातीते होजा, एवं सिणाएवि४॥सूत्रम् 753 // 27 पुलाए णं भंते! किं सामाइयसंजमे होजा छेओवट्ठावणियसंजमे होजा परिहारविसुद्धियसंजमे होजा सुहमसंपरागसंजमे होजा अहहक्खायसंजमे होजा?, गोयमा! सामा०संजमे वा होज्जा छेओव०संजमे वा होजा णो परिहारवि०संजमे होज्जा णो सुहुमसंपरागे होजाणो अहसंजमे होजा, एवं बउसेवि, एवं पडिसेवणाकुसीलेवि, 28 कसायकुसीलेणंपुच्छा, गोयमा! सा संजमे वा होज्जा जाव सुहुमसं०संजमे वा होज्जा णो अहसंजमे होजा / 29 नियंठे णं पुच्छा, गोयमा! णो सा.संजमे होज्जा जाव णो सहुमसंपरागसंजमे हो० अहक्खायसं० होज्जा, एवं सिणाएवि५॥सूत्रम् 754 // 30 पुलाएणं भंते! किं पडिसेवए होजा अपडिसेवए होजा?, गोयमा! पडिसेवए होजाणो अपडिसेवए होजा, 31 जइ पडिसेवए होज्जा किंमूलगुणपडिसेवए होज्जा उत्तरगुणपडिसेवए होजा?, गोयमा! मूलगुणपडिसेवए वा होज्जा उत्तरगुणपडिसेवए वा होजा, मूलगुण पडिसेवमाणे पंचण्हं आसवाणं अन्नयरंपडिसेवेजा, उत्तरगुण पडिसेवमाणे दसविहस्स पच्चक्खाणस्स अन्नयरंपडिसेवेजा। 32 बउसेणं पुच्छा, गोयमा! पडिसेवए होज्जा णो अपडिसेवए होज्जा, 33 जइ पडि० होजा किंमूलगुणपडि० होजा उत्तरगुणपडि. वा होज्जा?, गोयमा! णो मूलगुणपडि० होज्जा उत्तरगुणपडि० होज्जा, उत्तरगुणपडिसेवमाणे दसविहस्स पच्चक्खाणस्स अन्नयरं पडिसेवेजा, पडिसेवणाकुसीले जहा पुलाए। 34 कसायकुसीले णं पुच्छा, गोयमा! णो पडिसेवए होज्जा अपडि० होज्जा, एवं निग्गंथेवि, एवं सिणाएवि६॥सूत्रम् 755 // पुलाए णं भंते! किं सरागे त्ति सरागः सकषायः // 19 // // 752 // कल्पद्वारे पुलाए ण मित्यादि पुलाए णं भंते! किं ठियकप्पे त्यादि, आचेलक्यादिषु दशसु पदेषु प्रथमपश्चिमतीर्थङ्करसाधवः // 1486 // 38888888888