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________________ श्रीभगवत्यङ्गं श्रीअभय. वृत्तियुतम् भाग-३ // 1481 // 25 शतके उद्देशक:६ सूत्रम् 751 निर्ग्रन्थेषु भेदवे निगासे १५॥१॥जोगु१६ वओग 17 कसाए 18 लेसा १९परिणाम 20 बंध 21 वेदेय 22 / कम्मोदीरण 23 उवसंपजहन्न २४सन्ना य 25 आहारे 26 ॥२॥भव 27 आगारिसे 28 कालं 29 तरे य 30 समुग्घाय ३१खेत्त 32 फुसणा य 33 / भावे 34 परिणामे 35 विय अप्पाबहुयं 36 नियंठाणं 37 // 3 // 1 रायगिहे जाव एवं वयासी- कति णं भंते! णियंठा पन्नत्ता?, गोयमा! पंच णियंठा पन्नत्ता, तंजहा-पुलाए बउसे कुसीले णियंठे सिणाए॥२ पुलाए णं भंते! कतिविहे पन्नत्ते?, गोयमा! पंचविहे प, तं०- नाणपुलाए दंसणपुलाए चरित्तपुलाए लिंगपुलाए अहासुहमपुलाए णामं पंचमे / 3 बउसे णं भंते! कतिविहे प०?, गोयमा! पंचविहे प०, तं०आभोगबउसे अणाभोगबउसे संवुडबउसे असंवुडबउसे अहासुहुमबउसे णामं पंचमे। 4 कुसीले णं भंते! क०प०?, गोयमा! दुविहे प० त० पडिसेवणाकुसीले य कसायकुसीले य, ५पडिसेवणाकुसीलेणंभंते! क०प०?, गोयमा! पंचविहे प०, तं० नाणपडिसेवणाकुसीले दंसणपडिकु० चरित्तपडि कु० लिंगपडि कु० अहासुहुमपडि कु० णामं पंचमे, 6 कसायकुसीले णं भंते! क० प०?, गोयमा! पंचविहे पं० 20 नाणकसायकु० दंसणक कु० चरित्तक०कु. लिंगक०कु० अहासुहुमक०कु. णामं पंचमे। 7 नियंठे णं भंते! क० प०?, गोयमा! पंचविहे पं०, तं० पढमसमयनियंठे अपढमसमयनियंठे चरमसमयनियंठे अचरमसमयनियंठे अहासुहुमनियंठे णाम पंचमे। 8 सिणाए णं भंते! क०प०?, गो०! पंचविहे प० तं० अच्छवी 1 असबल 2 अकम्मंसे 3 संसुद्धनाणदंसणधरे अरहा जिणे केवली 4 अपरिस्सावी 5 // 1 // 9 पुलाए णं भंते! किं सवेयए होज्जा अवेदए होजा?, गोयमा! सवेयए होजा णो अवेयए होजा, 10 जइ सवेयए होजा किं इत्थिवेदए होजा पुरिसवेयए पुरिसनपुंसगवेदए होजा?, गोयमा! नो इत्थिवेदए होजा पुरिसवेयए होज्जा पुरिसनपुंसगवेयए वा होज्जा ।११बउसे गंभंते! किं सवेदए होज्जा अवेदए होजा?, गोयमा! सवेदए होजाणो अवेदए होज्जा, 12 जइ सवेदए होज्जा किं इत्थिवेयए होज्जा पुरिसवेयए होजा पुरिसनपुंसगवेदए होजा?, गोयमा! इत्थिवेयए वा होजा पुरिसवेयए // 1481 //
SR No.600445
Book TitleVyakhyapragnaptisutram Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDivyakirtivijay
PublisherShripalnagar Jain Shwetambar Murtipujak Derasar Trust
Publication Year2012
Total Pages562
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_bhagwati
File Size38 MB
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