________________ श्रीभगवत्यङ्गं श्रीअभय वृत्तियुतम् भाग-३ // 1477 // 25 शतके उद्देशक:५ सूत्रम् 746-747 पर्यवाः आवलिकादीनांसमया नउए पउयंगे पउए चूलियंगे चूलिए सीसपहेलियंगे सीसपहेलिया पलिओवमे सागरोवमे ओसप्पिणी एवं उस्सप्पिणीवि, 5 पोग्गलपरियट्टे णं भंते! किं संखेज्जा समया असंखेज्जा समया अणंता समया? पुच्छा, गोयमा! नो संखेज्जा समया नो असंखेज्जा समया अणंता समया, एवं तीयद्धाअणागयद्धसव्वद्धा ॥६आवलियाओणं भंते! किं संखेजा समया? पुच्छा, गोयमा! नो संखेन्जा समया सिय असंखिज्जा समया सिय अणंता समया, 7 आणापाणूणं भंते! किं संखेज्जा समया 3?, एवं चेव, 8 थोवाणं भंते! किं संखेजा समया 3, एवं जाव ओसप्पिणीओत्ति, 9 पोग्गलपरियट्टाणंभंते! किं संखेज्जा समया? पुच्छा, गोयमा! णो संखेजा समया णो असंखेजा समया अणंता समया, 10 आणापाणूणंभंते! किंसंखेजाओ आवलियाओपुच्छा, गोयमा! संखेजाओ आवलियाओ णो असंखिज्जाओ आवलियाओ नो अणंताओ आव०, एवं थोवेवि एवं जाव सीसपहेलियत्ति / 11 पलिओवमे णं भंते! किं संखेज्जा 3? पुच्छा, गोयमा! णो संखेजाओ आवलियाओ असंखिज्जाओ आव० नो अणंताओ आव०, एवं सागरोवमेवि एवं ओसप्पिणीवि उस्सप्पिणीवि, 12 पोग्गलपरियट्टे पुच्छा, गोयमा! नो संखेनाओ आव० णो असंखेजाओ आव० अणंताओ आव०, एवं जाव सव्वद्धा / 13 आणापाणूणं भंते! किं संखेजाओ आव०? पुच्छा, गोयमा! सिय संखेज्जाओ आव० सिय असंखेल्जाओ सिय अणंताओ, एवं जाव सीसपहेलियाओ, 14 पलिओवमाणं पुच्छा, गोयमा! णो संखेजाओ आव० सिय असंखेजाओ आव० सिय अणंताओ आव० एवं जाव उस्सप्पिणीओ, 15 पोग्गलपरियट्टाणं पुच्छा, गोयमा! णो संखेजाओ आव० णो असंखेजाओ आव० अणंताओ आव०।१६थोवेणंभंते! किं संखेजाओ आणापाणूओ असंखेजाओ जहा आवलियाए वत्तव्वया एवं आणापाणूवि निरवसेसा, एवं एतेणं गमएणं जाव सीसपहेलिया भाणियव्वा / 17 सागरोवमे णं भंते! किं संखेजा पलिओवमा? पुच्छा, गोयमा! संखेज्जा पलिओवमा णो असंखेजा पलि०णो अणंता पलि०, एवं ओसप्पिणीएवि उस्सप्पिणीएवि, 2 // 1477 //