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________________ श्रीभगवत्यङ्गं श्रीअभय वृत्तियुतम् भाग-३ // 1441 // 25 शतके उद्देशकः३ सूत्रम् 729 आकाशश्रेणिगतिश्रेणिगणिपिटकाल्पबहुत्वानि तत्सर्वं क्षुल्लकप्रतरप्रत्यासन्ना ऊधिआयता अधोलोकश्रेणीराश्रित्येत्यवसेयम्,ता हि आदिमाः सङ्ख्यातप्रदेशास्ततोऽसङ्ख्यातप्रदेशास्ततः परं त्वनन्तप्रदेशाः, तिर्यगायतास्त्वलोकश्रेणयः प्रदेशतोऽनन्ता एवेति // 46 // // 728 // 49 सेढीओणं भंते! किंसाइयाओसपज्जवसियाओ १साईयाओ अपज्जवसि०२ अणादीयाओसपज्जवसियाओ३ अणादीयाओ अप० 4?, गोयमा! नो सादीयाओ सप० नो सादीयाओ अप० णो अणादीयाओ सप०, अणादीयाओ अप० एवं जाव उद्दमहायताओ, 50 लोयागाससेढीओ णं भंते! किं सादीयाओ सप० पुच्छा, गो०! सादीयाओ सपन्जाओ, नो सादीयाओ अपज्ज०ओ, नो अणादीयाओ सपज्जव० नो अणादीयाओ अपज्ज० एवं जाव उड्डमहायताओ। 51 अलोयागाससेढीओणं भंते! किं सादीयाओ सप० पुच्छा, गोयमा! सिय साइयाओ सपज्जवसियाओ 1 सिय साईयाओ अपजओ 2 सिय अणादीयाओ सपज्ज०ओ 3 सिय अणाइयाओ अपज्ज०ओ४, पाईणपडीणाययाओदाहिणुत्तरायताओय एवं चेव, नवरं नो सादीयाओ सपन०ओ सिय साईयाओ अपजओ सेसंतं चेव, उद्दमहायताओ जाव ओहियाओ तहेव चउभंगो। 52 सेढीओणं भंते! दव्वट्ठयाए किं कडजुम्मओ तेओयाओ? पुच्छा, गोयमा! कडजुम्माओ, नो तेओयाओ, नो दावरजुम्माओ, नो कलियोगाओ, एवं जाव उडमहायताओ, लोगागाससेढीओ एवं चेव, एवं अलोगागाससेढीओवि / 53 सेढीओ णं भंते! पएसट्ठयाए किं कडजुम्माओ पुच्छा, एवं चेव जाव उड्डमहायताओ। 54 लोयागाससे० णं भंते! पएस० पुच्छा, गोयमा! सिय कडजुम्माओ, नो तेओयाओ, सिय दावरजुम्माओ, नो कलिओगाओ, एवं पाईणपडीणायताओवि दाहिणुत्तरायताओवि, 55 उड्डमहाययाओ णं पुच्छा, गोयमा! कडओ नो तेओगाओ नो दावर०ओ नो कलिओ। 56 अलोसेढीओ णं भंते! पएस० पुच्छा, गोयमा! सिय कड०ओ जाव सिय कलिओ, एवं पाईणप०वि एवं दाहिणु-वि, उद्दमहा०वि एवं चेव, नवरं नो कलि० सेसंतं चेव // सूत्रम् 729 // // 1441 //
SR No.600445
Book TitleVyakhyapragnaptisutram Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDivyakirtivijay
PublisherShripalnagar Jain Shwetambar Murtipujak Derasar Trust
Publication Year2012
Total Pages562
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_bhagwati
File Size38 MB
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