________________ श्रीभगवत्यङ्ग श्रीअभय वृत्तियुतम् भाग-३ // 1439 // युग्मादि 727 // द्रव्याद्यपेक्षया संस्थानपरिमाणस्याधिकृतत्वात्संस्थानविशेषितस्य लोकस्य तथैव परिमाणनिरूपणायाह 25 शतके 39 सेढीओणं भंते! दव्वट्ठयाए किं संखेजाओ असंखेजाओ अणंताओ?, गोयमा! नो संखेज्जाओ नो असंखे० अणंताओ, 40 उद्देशकः३ सूत्रम् 728 पाईणपडीणायताओणं भंते! सेढीओ दव्व० किं संखेजाओ एवं चेव 3, एवं दाहिणुत्तरायताओवि एवं उड्डमहायताओवि। 41 संस्थानप्रदे शादिकृतलोगागाससेढीओणं भंते! दव्व० किंसंखेज्जाओ असंखेज्जाओ अणंताओ?,गोयमा! नो संखेजाओ असंखेनाओनो अणंताओ, 42 पाईणपडीणा० णंभंते! लोगागाससे० दव्व० किं संखेजाओ एवं चेव, एवंदाहिणुत्तराययाओ वि, एवं उड्वमहायताओ वि / 43 अलोयागाससेढीओणंभंते! दव्व० किंसंखेजाओ असंखेज्जाओ अणंताओ?, गोयमा! नो संखेल्जाओ नो असंखेजाओ अणंताओ, एवं पाईणप०वि एवं दाहिणुत्तराययाओवि एवं उड्डमहायताओवि। 44 सेढीओ णं भंते! पएसट्ठयाए किं संखेजाओ जहा दव्व० तहा पएसट्ठ०विजाव उड्वमहाय०विसव्वाओ अणंत०।४५ लोयागाससेढीओणंभंते! पएस० किं संखेनाओपुच्छा,गोयमा! सिय संखे० सिय असं० नो अणंताओ एवं पाईणपन्यताओ दाहिणुत्तरायताओविएवं चेव उड्डमहायताओविनोसंखेजाओ असंखे० नो अणंताओ॥४६ अलोगागाससेढीओणंभंते! पएस० पुच्छा, गोयमा! सियसंखे०सिय असं० सिय अणंताओ 47 पाईणपव्ययाओ णं भंते! अलोया० पुच्छा, गोयमा! नो संखेजाओ नो असंखेज्जाओ अणंताओ, एवं दाहिणुत्तरायताओवि, 48 उड्डमहायताओ पुच्छा, गोयमा! सियसंखेजाओ सिय असं० सिय अणंताओ॥सूत्रम् 728 // सेढी त्यादि, श्रेणीशब्देन च यद्यपि पङ्क्तिमात्रमुच्यते तथाऽपीहाकाशप्रदेशपङ्क्तयः श्रेणयो ग्राह्याः, तत्र श्रेणयो-॥१४३९॥ विवक्षितलोकालोकभेदत्वेन सामान्याः 1 तथा ता एव पूर्वापरायताः 2 दक्षिणोत्तरायता: 3 ऊद्धाधआयताः 4, एवं