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________________ श्रीभगवत्यङ्ग श्रीअभय वृत्तियुतम् 24 शतके उद्देशक: 24 सूत्रम् 715 वैमानिकोत्पादः भाग-३ // 1416 // पेक्ष्योक्तमिति // 6 // सङ्ख्यातायुःपञ्चेन्द्रियतिर्यगधिकारे जाहे व अप्पणा जहन्नकालट्ठिइओ भवई त्यादौ नो सम्मामिच्छादिट्ठी / त्ति मिश्रदृष्टिनिषेध्यो जघन्यस्थितिकस्य तदसम्भवादजघन्यस्थितिकेषु दृष्टित्रयस्यापि भावादिति, तथा ज्ञानादिद्वारेऽपि द्वे ज्ञाने वा अज्ञाने वा स्याताम्, जघन्यस्थितेरन्ययोरभावादिति // 8 // अथ मनुष्याधिकारे नवरं आदिल्लएसु दोसु गमएस्वि त्यादि, आद्यगमयोर्हि सर्वत्र धनुष्पृथक्त्वं जघन्यावगाहना, उत्कृष्टा तु गव्यूतषट्कमुक्ता इह तु जहन्नेणं गाउय मित्यादि, तृतीयगमे तु जघन्यत उत्कर्षतश्च षड् गव्यूतान्युक्तानीह तु त्रीणि, चतुर्थे गमे तु प्राग् जघन्यतो धनुष्पृथक्त्वमुत्कर्षतस्तु द्वे गव्यूते उक्ते इह तु जघन्यत उत्कर्षतश्च गव्यूतम्, एवमन्यदप्यूह्यम् // 10 // ईशानकदेवाधिकारे सातिरेगं पलिओवमं कायव्वं ति ईशाने सातिरेकपल्योपमस्य जघन्यस्थितिकत्वात्, तथा चउत्थगमए ओगाहणा जहन्नेणं धणुहपुहत्तं ति ये सातिरेकपल्योपमायुषस्तिर्यञ्चः सुषमांशोद्भवाः क्षुद्रतरकायास्तानपेक्ष्योक्तम्, उक्कोसेणं साइरेगाइं दो गाउयाइन्ति एतच्च यत्र काले सातिरेकगव्यूतमाना मनुष्या भवन्ति तत्कालभवान् हस्त्यादीनपेक्ष्योक्तम्, तथा जेसु ठाणेसु गाउयन्ति // 12 // सौधर्मदेवाधिकारे येषु स्थानेष्वसङ्ख्यातवर्षायुर्मनुष्याणांगव्यूतमुक्तं तेसु ठाणेसु इहंसाइरेगंगाउय न्ति जघन्यतः सातिरेकपल्योपमस्थितिकत्वादीशानकदेवस्य प्राप्तव्यदेवस्थित्यनुसारेण चासङ्ख्यातवर्षायुर्मनुष्याणां स्थितिसद्भावात्तदनुसारेणैव च तेषामवगाहनाभावादिति // 13 // सनत्कुमारदेवाधिकारे जाहे य अप्पणा जहन्ने त्यादौ पंच लेस्साओ आदिल्लाओ कायव्वाओ त्ति जघन्यस्थितिक स्तिर्यक् सनत्कुमारे समुत्पित्सुर्जघन्यस्थितिसामर्थ्यात्कृष्णादीनां चतसृणां लेश्यानामन्यतरस्यां परिणतो भूत्वा मरणकाले पद्मलेश्यामासाद्य म्रियते ततस्तत्रोत्पद्यते, यतोऽग्रेतनभवलेश्यापरिणामे सति जीवः परभवंगच्छतीत्यागमः, तदेवमस्य पञ्च लेश्या भवन्ति // 16 // लंतगाईणं जहण्णे त्यादि, एतद्भावना चानन्तरोक्तन्यायेन कार्या, संघयणाई बंभलोए लंतएसु पंच // 1416 //
SR No.600445
Book TitleVyakhyapragnaptisutram Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDivyakirtivijay
PublisherShripalnagar Jain Shwetambar Murtipujak Derasar Trust
Publication Year2012
Total Pages562
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_bhagwati
File Size38 MB
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