SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 330
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ श्रीभगवत्यङ्ग श्रीअभय वृत्तियुतम् भाग-३ // 1408 // ॥चतुर्विंशशतके द्वाविंशमोद्देशकः॥ 24 शतके वाणमन्तरा णं कओहिंतो उवव० किं नेरइएहितो उवव० तिरिक्ख०१ एवं जहेव णागकुमारउद्देसए असन्नी निरवसेसं। जइ उद्देशक: 22 सूत्रम् 713 सन्निपंचिंदियजाव असंखेनवासाउयसन्निपंचिंदिय० जे भविए वाणमंतर० सेणंभंते! केवति०?,१ गोयमा !जहन्नेणंदसवाससहस्स- व्यन्तरोत्पादः ठितीएसु, उ० पलिओवमठितिएसुसेसंतंचेव जहा नगाकुमारउद्देसए जाव कालादेसेणंज० सातिरेगा पुव्वकोडी दसहिं वाससहस्सेहिं अब्भहिया, उ० चत्तारि पलिओवमाई एवतियं 1, ३सोचेव जहन्नकालट्ठितीएसु उववन्नो जहेवणागकुमाराणं बितियगमे वत्तव्वया २,४सोचेव उक्कोसकालट्ठितिएसुउवव० ज० पलिओवमट्टितीएसु, उ०विपलि० एस चेव वत्तव्वया नवरं ठिती से ज० पलिओवमं, उ० तिन्निपलिओवमाइंसंवेहोज० दोपलिओवमाई, उ० चत्तारि पलिओवमाईएवतियं 3, मज्झिमगमगा तिन्निविजहेव नागकुमारेसु पच्छिमेसु तिसुगमएसुतंचेव जहा नागकुमारुद्देसए नवरं ठिति संवेहंच जाणेजा, संखेन्जवासाउय तहेव नवरं ठिती अणुबंधो संवेहं च उभओ ठितीएसु जा०, 5 जइ मणुस्स० असंखेज्जवासाउयाणं जहेव नागकुमाराणं उद्देसे तहेव व०, नवरं तइयगमए ठिती ज० पलिओवमं, उ० तिन्नि पलिओवमाई ओगाहणा ज० गाउयं, उ० तिन्नि गाउयाई सेसं तहेव संवेहो से जहा एत्थ चेव उद्देसए असंखेज्जवासाउयसन्निपंचिंदियाणं, संखेजवासाउयसन्निमणुस्से जहेव नागकुमारुद्देसए नवरं वाणमंतरे ठिति संवेहंच जा०।सेवं भंते! रत्ति ॥सूत्रम् 713 // 24-22 // द्वाविंशतितमे किञ्चिल्लिख्यते-तत्रासङ्ख्यातवर्षायुःसज्ञिपञ्चेन्द्रियाधिकारे उक्कोसेणं चत्तारि पलिओवमाइन्ति त्रिपल्योपमायुः // 1408 // सज्ञिपञ्चेन्द्रियतिर्यक् पल्योपमायुर्व्यन्तरो जात इत्येवं चत्वारि पल्योपमानि,॥२॥ द्वितीयगमे जहेव नागकुमाराणं बीयगमे वत्तव्वय त्ति सा च प्रथमगमसमानैव नवरं जघन्यत उत्कर्षतश्च स्थितिर्दशवर्षसहस्राणि, संवेधस्तु कालादेसेणं जहन्नेणं सातिरेगा
SR No.600445
Book TitleVyakhyapragnaptisutram Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDivyakirtivijay
PublisherShripalnagar Jain Shwetambar Murtipujak Derasar Trust
Publication Year2012
Total Pages562
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_bhagwati
File Size38 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy