________________ श्रीभगवत्यङ्गं श्रीअभय वृत्तियुतम् 24 शतके उद्देशक: 12 सूत्रम् 701 पृथ्व्या उत्पादः भाग-३ // 1373 // गमएसु, ठिती संवेहो तइयछट्ठसत्तमट्ठमणवमगमेसु भवादेसेणं जह० दोभवग्गहणाई, उ० अट्ठ भवग्ग०, सेसेसुचउसुगमएसुज० दो भवग्ग०, उ० असंखेज्जाइंभवग्ग०, ततियगमए काला० ज० बावीसंवाससहस्साई अंतोमुत्तमब्भ०,उ० सोलसुत्तरं वाससयसहस्सं एवतियं०, छटेगमए काला० ज० बावीसं वाससहस्साई अंतोमुत्तमब्भ०, उ० अट्ठासीति वाससहस्साईचउहिं अंतोमुहुत्तेहिं अब्भ० एवतियं०, सत्तमे गमए काला० ज० सत्त वाससहस्साई अंतोमुत्तमब्भ०, उ० सोलसुत्तरवाससयसहस्सं एवतियं०, अट्ठमे गमए काला० ज० सत्त वाससहस्साइं अंतोमुत्तमब्भ०, उ० अट्ठावीसं वाससहस्साईचउहिं अंतोमुहुत्तेहिं अब्भ० एवतियं०, णवमे गमए भवादेसेणंज० दो भवग्गहणाई, उ० अट्ठ भवग्ग० काला० ज० एकूणतीसाईवाससहस्साई, उ० सोलसुत्तरं वाससयसहस्सं एवतियं०, एवंणवसुविगमएसु आउक्काइयठिई जाणियव्वा 9 // 16 जइ तेउक्काइएहिंतो उवव० तेउक्काइयाणविएस चेव वत्तव्वया नवरं नवसुवि गमएसु तिन्नि लेस्साओ तेउक्काइयाणं सुईकलावसंठिया ठिई जा० तईयगमए कालादे० ज० बावीसं वाससह० अंतोमुहुत्तमब्भहि०, उ० अट्ठासीतिं वासहस्साहं बारसहिं राइंदिएहिं अब्भ० एवतियं एवं संवेहो उवजुंजिऊण भा० 9 // 17 जइ वाउक्काइएहितो वाउक्काइयाणविएवं चेवणव गमगा जहेव तेउक्काइयाणंणवरं पडागासंठिया प० संवेहो वाससहस्सेहिं कायव्वोतइयगमए कालादे० ज० बावीसं वाससहस्साई अंतोमुत्तमन्भ०, उ० एगं वाससयसहस्सं एवं संवेहो उवजुंजिऊण भा०॥ 18 जइ वणस्सइकाइएहितो उवव० वणस्सइकाइयाणं आउकाइयगमगसरिसा णव गमगा भा० नवरंणाणासंठिया सरीरोगाहणा प० पढमएसु पच्छिल्लएसुय तिसुगमएसुज० अंगुलस्स असंखेजइभाग, उ० सातिरेगंजोयणसहस्सं मज्झिल्लएसुतिसुतहेव जहा पुढविकाइयाणं संवेहो ठिती य जाणियव्वा तइयगमेकाला० ज० बावीसंबाससह अंतोमुत्तमब्भ०, उ० अट्ठावीसुत्तरं वाससयसहस्संए० एवं संवेहो उवजुंजिऊण भाणियव्वो ॥सूत्रम् 701 // // 1373 //