________________ श्रीभगवत्यङ्ग श्रीअभय वृत्तियुतम् भाग-३ // 1372 // 24 शतके उद्देशकः 12 सूत्रम् 701 पृथ्व्या उत्पादः सेसंतंचेव जाव अणुबंधोत्ति,णवरंज० एक्कोवा दो वा तिन्निवा, उ० संखेज्जा वा असंखेजा वा उवव०, भवादे० ज० दो भवग्गहरू, उ० अट्ठ भवग्गह०, कालादे० ज० बावीसं वाससह० अंतोमुत्तमब्भहि०, उ० छावत्तरिं वाससहस्सुत्तरं सयसहस्सं एवतियं कालं जाव करेजा 3, 8 सोचेव अप्पणा जहन्नकालट्ठितीओजाओसोचेव पढमिल्लओगमओ भाणियव्वो नवरं लेस्साओ तिन्नि ठिती ज० अंतो०, उ०वि अंतो०, अप्पसत्था अज्झवसाणा, अणुबंधो जहा ठिती सेसंतंचेव 4, ९सो चेव जहन्नकालट्टितीएसु उववन्नो एसो चेव चउत्थगमगवत्तव्वया भा०५, 10 सोचेव उक्कोसकालट्टितीएसु उववन्नो एस चेव वत्तव्वया नवरंज० एक्को वा दो वा तिन्नि वा, उ० संखे० असंखेज्जा वा जाव भवादेसेणं ज० दो भवग्गहणाई, उ० अट्ट भवग्ग० काला० ज० बावीसवाससहस्साई अंतोमु०भहियाई, उ० अट्ठासीईवाससहस्साइंचउहि अंतोमुहत्तेहिं अब्भ० एवतियं०६,११ सोचेव अप्पणा उक्कोसकालट्ठितीओ जाओ एवं तइयगमगसरिसो निरवसेसो भा० नवरं अप्पणा से ठिई ज० बावीसवाससहस्साई, उ०वि बा० वा० 7, 12 सो चेव जहन्नकालट्ठितीएसु उववन्नोज० अंतो०, उ०वि अंतो०, एवं जहा सत्तमगमगोजाव भवादेसो, काला० ज० बावीसं वाससहस्साई अंतोमुत्तमब्भ०, उ० अट्ठासीईवाससहस्साईचउहिं अंतोमुत्तेहिं अब्भ० एवतियं०८,१३ सोचेव उक्कोसकालट्ठितीएसु उववन्नो ज० बावीसवाससहस्सद्वितीएसुउ०वि बावीस० एस चेव सत्तमगमगवत्तव्वया जाणियव्वा जावभवादेसोत्ति कालादे० ज० चोयालीसं वाससहस्साई, उ० छावत्तरिवाससहस्सुत्तरंसयसहस्सं एवतियं 9 // 14 जइ आउक्काइयएगिदियति जोणिएहितोउव० किं सुहुमआऊ. बादरआउ० एवं चउक्कओ भेदो भा० जहा पुढविक्काइयाणं, 15 आउक्काइयाणं भंते! जे भविए पुढविक्काइएसु उववजित्तए से णं भंते! केवइकालट्ठितीएसु उववजिजा?, गोयमा! ज० अंतोमुत्तट्टिती०, उ० बावीसवाससहस्सट्ठि० उवव०, एवं पुढविक्काइयगमगसरिसा नव गमगा भा०९, नवरं थिबुगबिंदुसंठिए, ठिती ज० अंतो०, उ० सत्त वाससहस्साई, एवं अणुबंधोवि एवं तिसुवि // 1372 //