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________________ श्रीभगवत्यङ्ग श्रीअभय. वृत्तियुतम् भाग-३ // 1314 // 20 शतके उद्देशक: 6 सूत्रम् 671-673 पृथ्व्यादीनां पूर्वपश्चादु त्पादाहारी जे भविए उववाएयव्वो। 4 पुढविकाइए णं भंते! सोहम्मीसाणसणंकुमारमाहिंदाण य कप्पाणं अंतरा समोहए 2 जे भविए इमीसे र०भाए पुढवीए पु॰इयत्ताए उत्तए से णं भते! पुव्विं उत्ता पच्छा आहारेजा सेसंतं चेव जाव से तेणटेणं जाव णिक्खेवओ।५ पु०इएणं भंते! सोहम्मीसाणाणं सणंकुमारमाहिंदाण य कप्पाणं अंतरासमोहए 2 जे भविए सक्करप्पभाए पुढवीए पुख्यत्ताए उत्तए एवं चेव एवं जाव अहेसत्तमाए उववाएयव्वो, एवं सणंकुमारमाहिंदाणं बंभलोगस्स कप्पस्स अंतरा समोहए 2 पुणरवि जाव अहेसत्तमाए उ०यव्वो एवं बंभलोगस्स लंतगस्स य कप्पस्स अंतरा समोहए पुणरवि जाव अहेसत्तमाए, एवं लंतगस्स महासुक्कस्स कप्पस्स य अंतरासमोहए पुणरवि जाव अहेसत्तमाए, एवं महासुक्कसहस्सारस्स य कप्पस्स अंतरा पुणरवि जाव अहेसत्तमाए, एवं सहस्सारस्स आणयपाणयकप्पाण अंतरा पुणरवि जाव अहेसत्तमाए, एवं आणयपाणयाणं आरणअच्चुयाण य कप्पाणं अंतरा पुणरवि जाव अहेसत्तमाए, एवं आरणच्चुयाणं गेवेन्जविमाणाण य अंतराजाव अहेसत्तमाए, एवं गेवेजविमाणाणं अणुत्तरविमाणाण य अंतरा पुणरवि जाव अहेसत्तमाए एवं अणुत्तरविमाणाणं ईसीपब्भाराए य पुणरवि जाव अहेसत्तमाए उववाएयव्वो 1 // सूत्रम् 671 // 6 आउक्काइए णं भंते! इमीसे रयणप्पभाए सक्करप्पभाए पुढवीए अंतरा समोहए 2 जे भविए सोहम्मे कप्पे आउक्काइयत्ताए उववज्जित्तए सेसंजहा पुढविकाइयस्स जाव से तेणटेणं एवं पढमदोच्चाणं अंतरा समोहए जावईसीपब्भाराए उववाएयव्वो एवं एएणं कमेणंजाव तमाए अहेसत्तमाए य पुढवीए अंतरा समोहए 2 जाव ईसीपब्भाराए उववाएयव्वो आउक्काइयत्ताए, 7 आउयाएणंभंते! सोहम्मीसाणाणं सणंकुमारमाहिंदाण य कप्पाणं अंतरा समोहए समोहणित्ताजे भविए इमीसे रयणप्पभाए पुढवीएघणोदधिवलएसु आउकाइयत्ताए उववज्जित्तए सेसंतंचेव एवं एएहिं चेव अंतरा समोहओजाव अहेसत्तमाए पुढवीए घणोदधिवलएसु आउक्काइयत्ताए 3 // 1314 //
SR No.600445
Book TitleVyakhyapragnaptisutram Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDivyakirtivijay
PublisherShripalnagar Jain Shwetambar Murtipujak Derasar Trust
Publication Year2012
Total Pages562
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_bhagwati
File Size38 MB
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