SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 179
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ श्रीभगवत्यङ्गं श्रीअभय वृत्तियुतम् भाग-३ // 1257 // 18 शतके उद्देशक:८ सूत्रम् 640 अन्यतीर्थिकवादः सूत्रम् 641 छद्मस्थस्य परमाणोर्जा नाज्ञाने भगवं महावीरे भगवं गोयम एवं व०- सुट्ठणं तुमंगो०! ते अथिए एवं व० साहुणं तुमंगोयमा! ते अ०थिए एवं व० अत्थि णं गो० ममं बहवे अंतेवासी समणा निग्गंथा छउमत्था जेणं नो पभू एयं वागरणं वागरेत्तए जहाणं तुमंतंसुटुणं तुमंगो०! ते अन्नउत्थिए एवं वयासी साहूणं तुमं गो०! ते अ०थिए एवं व०॥ सूत्रम् 640 // तए णं भगवं गोयमे समणेणं भगवया महावीरेण एवं वुत्ते समाणे हट्ठतुट्टे समणं भ० म०व० नम० एवं व०-७ छउमत्थे णं भंते! मणुसे परमाणुपोग्गलं किं जाणति पासति उदाहु न जाणति न पासति?, गोयमा! अत्थेगतिए जा०, न पा० अत्थे० न जा० न पा०, 8 छउमत्थे णं भंते! मणूसे दुपएसियं खंधं किं जाणति 2?, एवं चेव, एवं जाव असंखेज्जपदेसियं, 9 छउमत्थे णं भंते! मणूसे अणंतपएसियं खंधं किं पुच्छा, गोयमा! अत्थे० जा० पा० 1 अत्थे० जा०, न पा० 2 अत्थे० न जा०, पा० 3 अत्थे० न जा० न पा० 4, 10 अहोहिए णं भंते! मणुस्से परमाणुपोग्गलं जहा छउमत्थे एवं अहोहिएवि जाव अणंतपदेसियं, 11 परमाहोहिए णं भंते! मणूसे परमाणुपो० जं समयं जा० तं समयं पा०, जं समयं पा० तं समयं जा०?, णो तिणढे समढे, से केणटेणं भंते! एवं वुच्चइ परमाहोहिएणं मणूसे परमाणुपो० जं समयं जा०, नो तं समयं पा० जं समयं पा०, नोतं समयं जा०?, गोयमा! सागारे से नाणे भवइ अणागारे से दंसणे भवइ, से तेणटेणं जावनोतंसमयं जाणति एवं जाव अणंतपदेसियं / 12 केवलीणं भंते! मणुस्से परमाणुपोग्गलं जहा परमाहोहिए तहा केवलीवि जाव अणंतपएसियं / सेवं भंते रत्ति ॥सूत्रम् 641 // 18-8 // तए ण मित्यादि, पेच्चेह त्ति आक्रामथ // 3 // कायं च त्ति देहं प्रतीत्य व्रजाम इति योगः, देहश्चेद्गमनशक्तो भवति तदा व्रजामो नान्यथा, अश्वशकटादिनेत्यर्थः, योगं च संयमव्यापारं ज्ञानाद्युपष्टम्भकप्रयोजनं भिक्षाटनादि, न तं विनेत्यर्थः, रीयं च त्ति गमनं च अत्वरितादिकं गमनविशेषं प्रतीत्य आश्रित्य, कथं? इत्याह- दिस्सा दिस्स त्ति दृष्ट्वा 2 पदिस्सा पदिस्स त्ति // 1257 //
SR No.600445
Book TitleVyakhyapragnaptisutram Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDivyakirtivijay
PublisherShripalnagar Jain Shwetambar Murtipujak Derasar Trust
Publication Year2012
Total Pages562
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_bhagwati
File Size38 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy