________________ श्रीभगवत्यङ्ग श्रीअभय वृत्तियुतम् भाग-३ // 1219 // 18 शतके उद्देशकः१ सूत्रम् 616 जीवादीनां प्रथमचरमत्वे जहा आहारए एवं पुहुत्तेणविकण्हलेस्सा जाव सुक्कलेस्सा एवं चेव नवरंजस्स जा लेसा अस्थि / अलेसेणंजीवमणुस्ससिद्धे जहा नोसन्नीनोअसन्नी 5 // 11 सम्मदिट्ठीएणं भंते! जीवे सम्मदिट्ठिभावेणं किं पढमे पुच्छा, गोयमा! सिय पढमे सिय अपढमे, एवं एगिंदियवजं जाव वे०, सिद्धे पढमे नो अपढमे, पुहुत्तिया जीवा पढमावि अपढमावि, एवं जाव वे०, सिद्धा पढमा नो अपढमा, मिच्छादिट्ठीए एगत्तपुहुत्तेणं जहा आहारगा, सम्मामिच्छादिट्ठी एगत्तपु० जहा सम्मदिट्ठी, नवरंजस्स अस्थि सम्मामिच्छत्तं 6 // 12 संजए जीवे मणुस्से य एगत्तपुहुत्तेण जहा सम्मदिट्ठी असंजए जहा आहारए, संजयासंजए जीवे पंचिंदियतिरिक्खजोणियमणुस्सा एगत्तपु० जहा सम्मदिट्ठी नोसंजएनोस्संजएनोसंजयासंजए जीवे सिद्धे य एगत्तपु० पढमे नो अपढमे 7 // 13 सकसायी कोहक० जावलोभक० एए एगत्तपुहुत्तेणं जहा आहारए, अकसा० जीवे सिय पढमे सिय अपढमे, एवं मणुस्सेवि, सिद्धे पढमे नो अपढमे, पुहुत्तेणं जीवा मणुस्सावि पढमावि अपढमावि, सिद्धा पढमा नो अपढमा 8 // 14 णाणी एगत्तपु० जहा सम्मदिट्ठी आभिणिबोहियनाणी जाव मणपजवनाणी एगत्तपु० एवं चेव नवरं जस्स जं अत्थि, केवलनाणी जीवे मणुस्से सिद्धे य एगत्तपु० पढमा नो अप० / अन्नाणी मइअन्नाणी सुयअन्नाणी विभंगना० एगत्तपु० जहा आहारए 9 // 15 सजोगी मणजोगी वयजोगी कायजोगी एगत्तपु० जहा आहारए नवरं जस्स जो जोगो अत्थि, अजोगी जीवमणुस्ससिद्धा एगत्तपु० पढमा नो अप०१०॥१६ सागारोवउत्ता अणागारोवउ० एगत्तपु० णं जहा अणाहारए 11 // 17 सवेदगो जाव नपुंसगवेदगो एगत्तपु० जहा आहारए नवरं जस्स जो वेदो अस्थि, अवेदओ एगत्तपु० तिसुवि पदेसुजहा अकसायी 12 // 18 ससरीरी जहा आहारए एवं जाव कम्मगसरीरी, जस्सजं अत्थि सरीरं, नवरं आहारगसरीरी एगत्तपु० जहा सम्मदिट्ठी, असरीरी जीवो सिद्धो एगत्तपुहु० पढमा नो अपढमा १३॥१९पंचहिं पज्जत्तीहिं पंचहिं अपज्जत्तीहिं एगत्तपु० जहा आहारए, नवरंजस्स जा अत्थि जाव वे० नोपढमा अप०१४॥इमा लक्खणगाहाजोजेणपत्तपुव्वो // 1219 //