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________________ श्रीभगवत्यङ्ग श्रीअभय वृत्तियुतम् भाग-२ // 616 // श्रावकस्य भाण्डुअभाण्ड वा?, गोयमा! सव्वत्थोवा मिच्छादसणवत्तियाओ किरियाओ मिथ्यादृशामेव तद्भावात्, अप्पच्चक्खाणकिरियाओ विसेसाहियाओ 8 शतके उद्देशक:५ मिथ्यादृशामविरतसम्यग्दृशां च तासां भावात्, परिगहियाओ विसेसाहियाओ पूर्वोक्तानां देशविरतानां च तासां भावात्, आजीविकाआरंभियाओ किरियाओ विसेसाहियाओ पूर्वोक्तानांप्रमत्तसंयतानांच तासांभावात्, मायावत्तियाओ विसेसाहियाओ पूर्वोक्तानाम धिकारः। प्रमत्तसंयतानां च तद्भावादिति, एतदन्तं चेदं वाच्यमिति दर्शयन्नाह जावे त्यादि, इह गाथे मिच्छापच्चक्खाणे परिग्गहारंभमाय-3 सूत्रम् 328 सामायिके किरियाओ। कमसो मिच्छा अविरयदेसपमत्तप्पमत्ताणं॥१॥ मिच्छत्तवत्तियाओ मिच्छद्दिट्ठीण चेव तो थोवा। सेसाणं एक्केक्को वड्डइ / रासी तओ अहिया॥२॥ इति (गतार्थे पूर्वोक्तेन)॥३२७ // अष्टमशते चतुर्थोद्देशकः॥८-४॥ स्त्री-अस्त्री भवत्यादि॥अष्टमशतके पञ्चमोद्देशकः।। क्रियाधिकारात्पञ्चमोद्देशके परिग्रहादिक्रियाविषयं विचारं दर्शयन्नाह १रायगिहे जाव एवं वयासी-आजीवियाणं भंते! थेरे भगवंते एवंव०-समणोवासगस्सणं भंते? सामाइयकडस्स समणोवस्सए अच्छमाणस्स केइ भंडे अवहरेज्जा सेणं भंते! तं भंडं अणुगवेसमाणे किं सयं भंडं अणुगवेसइ परायगंभंडं अणुग०?, गोयमा! सयं भंडं अणुग० नो परा० भंडं अणुग०,२ तस्स णं भंते! तेहिं सीलव्वयगुणवेरमणपच्चक्खाणपोसहोववासेहिं से भंडे अभंडे भवति?, हंता भ०॥सेकेणंखाइणं अटेणं भंते! एवं वु० सयं भंडं अणुग० नो परायगंभंडं अणुग०? गोयमा! तस्स णं एवं भ० - णो मे हिरन्ने नो मे सुवन्ने नो मे कंसे नो मे दूसे नो मे विउलधण कणग रयण मणि मोत्तिय संख सिल प्पवाल रत्तरयणमादीए संतसारसावदेज्जे, ममत्तभावे पुण से अपरिणाए भ०, से तेणटेणं गोयमा! एवं वु०- सयंभंडं अणुग० नो परा० भंडं अणुग०॥३समणोवासगस्सणं प्रश्नाः / I EDE
SR No.600444
Book TitleVyakhyapragnaptisutram Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDivyakirtivijay
PublisherShripalnagar Jain Shwetambar Murtipujak Derasar Trust
Publication Year2012
Total Pages574
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_bhagwati
File Size15 MB
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