________________ श्रीभगवत्यह श्रीअभय वृत्तियुतम् भाग-२ // 1010 // ५इमीसेणंभंते! रयणप्पभाए पुढवीए णिरयपरिसामंतेसुजे पुढविक्काइया एवं जहा नेरइयउद्देसए (प०१२७-२) जाव अहेसत्तमाए ॥सूत्रम् 478 // ६कहिणं भंते! लोगस्स आयाममझे प०?,गोयमा! इमीसे णं रयणप्पभाए उवासंतरस्स असंखेजतिभागं ओगाहेत्ता एत्थ णं लोगस्स आयाममज्झे प०।७ कहिणं भंते! अहेलोगस्स आयाममज्झे प०?, गोयमा! चउत्थीए पंकप्पभाए पुढवीए उवासंतरस्स सातिरेगं अद्धं ओगाहित्ता एत्थ णं अहेलोगस्स आयाममझे प०,८ कहिणं भंते! उड्डलोगस्स आयाममझे प०?, गोयमा! उप्पिं सणंकुमारमाहिंदाणं कप्पाणं हेटिं बंभलोए कप्पे रिट्ठविमाणे पत्थडे एत्थ णं उड्डलोगस्स आयाममझे प०।९ कहिन्नं भंते! तिरियलोगस्स आयाममज्झे प०?, गोयमा! जंबूद्दीवे 2 मंदरस्स पव्वयस्स बहुमज्झदेसभाए इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए उवरिमहेढिल्लेसुखुड्डागपयरेसुएत्थणं तिरियलोगस्समझे अट्ठपएसिएरुयए प०,जओणं इमाओ दस दिसाओपवहंति, तंजहा-पुरच्छिमा पुरच्छिमदाहिणा एवं जहा दसमसए नामधेजंति // सूत्रम् 479 // 10 इंदा णं भंते! दिसा किमादिया किंपवहा कतिपदेसादीया कतिपदेसुत्तरा कतिपदेसीया किंपज्जवसिया किंसंठिया प०?, गोयमा! इंदा णं दिसा रुयगादीया रुयगप्पवहा दुपएसादीया दुपएसुत्तरा लोगं पडुच्च असंखेजपएसिया अलोगं पडुच्च अणंतप० लोगं प० साईया सपज्जवसिया अलोगं प० साईया अपज्जवसिया लोगं प० मुरजसंठिया अलोगं प० सगडुद्धिसंठिया प०।११ अग्गेयी णंभंते! दिसा किमादीया किंपवहा कतिपएसादीया कतिपएसविच्छिन्ना कतिपएसीया किंपज्जवसिया किंसंठिया प०?, गोयमा! अग्गेयी णं दिसा रुयगा० रुयगप्य० एगपएसा० एगपएसवि० अणुत्तरा लोगं प० असंखेजपएसीया अलोगं प० अणंतप० लोगंप० साइया सपज्जव० अलोगं प० साइया अपज्ज० छिन्नमुत्तावलिसंठिया प० / जमा जहा इंदा, नेरइया जहा अग्गेयी, एवं जहा 13 शतके उद्देशक:४ नरकथिव्यधिकारः। सूत्रम् 476-409 2. स्पूर्श 3. प्रणिधि 4. नियान्त 5. लोकालोकतिर्याध्यलोकानांमध्य द्वाराणि तेषु स्पर्शबाहल्यकर्मवेदनादिप्रश्नाः / सूत्रमू 480 ६..दिशाविदिशाप्रवहद्वारम्ऐन्वयादिनां किमादिप्रबहप्रदेशप्रदेशवृद्धि प्रदेशसड्याइकारान्तादिसप्तप्रश्नाः। // 1010 //