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________________ श्रीभगवत्यङ्गं श्रीअभय. वृत्तियुतम् भाग-२ // 953 // सत्तमे घणवाए घणोदधि पुढवी, छट्टे उवासंतरे अवन्ने, तणुवाए जाव छट्ठी पुढवी एयाई अट्ट फासाई, एवं जहा सत्तमाए पुढवीए वत्तव्वया भणिया तहा जाव पढमाए पुढवीए भाणियव्वं, जंबुद्दीवे 2 सयंभुरमणे समुद्दे सोहम्मे कप्पे जाव ईसिपब्भारा पुढवी नेरतियावासा जाव वेमाणियावासा एयाणि सव्वाणि अट्ठफासाणि / 13 नेरइयाणं भंते! कतिवन्ना जाव कतिफासाप.?, गोयमा! वेउव्वियतेयाइं पडुच्च पंचवन्ना पंचरसा दुग्गंधा अट्ठफासा प०, कम्मगंप० पंचवन्ना पंचरसा दुगंधा चउफासा प०,जीवंप० अवन्ना जाव अफासा प०, एवं जाव थणिय०, 14 पुढविकाइयपुच्छा, गोयमा! ओरालियतेयगाई पडुच्च पंचवन्ना जाव अट्ठफासा प०, कम्मगं प० जहा नेर०, जीवं प० तहेव, एवं जाव चउरिंदि०, नवर वाउक्काइया ओरा वेउ० तेयगाई प० पंचवन्ना जाव अट्ठफासा प०, सेसंजहा नेरइयाणं, पंचिंदियतिरिक्खजोणिया जहा वाउक्काइया, 15 मणुस्साणं पुच्छा ओरालियवेउब्वियआहारगतेयगाई प. पंचवन्ना जाव अट्ठफासा प०, कम्मगं जीवं च प० जहा नेर०, वाणमंतरजोइसियवेमाणिया जहा नेर०, धम्मत्थिकाए जाव पोग्गल एए सव्वे अवन्ना, नवरंपोग्गल पंचवन्ने पंचरसे दुगंधे अट्ठफासे प०,णाणावरणिज्जे जाव अंतराइए एयाणि चउफासाणि, 16 कण्हलेसाणं भंते! कइवन्ना०? पुच्छा दव्वलेसंप० पंचवन्नाजाव अट्ठफासाप०, भावलेसंप० अवन्ना 4, एवं जाव सुक्कलेस्सा, सम्मद्दिट्ठि 3 चक्खुईसणे 4 आभिणिबोहियणाणे जाव विभंगणाणे आहारसन्ना जाव परिग्गहसन्ना एयाणि अवन्नाणि 4, ओरालियसरीरे जाव तेयगसरीरे एयाणि अट्ठफासाणि कम्मगसरीरे चउफासे, मणजोगे वयजोगे यचउफासे, कायजोगे अट्ठफासे, सागारोवओगेय अणागारोवओगेय अवन्ना / 17 सव्वदव्वाणंभंते! कतिवन्ना? पुच्छा, गोयमा! अत्थेगतिया सव्वदव्वा पंचवन्ना जाव अट्ठफासा प० अत्थे० सव्वदव्वा पंचवन्ना चउफासा प० अत्थे० सव्वदव्वा एगगंधा एगवण्णा एगरसा दुफासा प० अत्थे० सव्वदव्वा अवन्ना जाव अफासा प०, एवं सव्वपएसावि सव्वपज्जवावि, तीयद्धा अवन्ना जाव अफासा प०, एवं अणागयद्धावि, 12 शतके उद्देशकः५ प्राणातिपाताधिकारः। सूत्रम् 449 प्राणातिपातादिक्रोधमानमायालोभरागादीनां वर्णादियुक्तता प्रश्ना : / सूत्रम् 450 प्राणातिपातादिविरमणमतिअवग्रहादिउत्थानादिसप्तमावकाशान्तरतनवात| नै०आदिपृथिवीकायिकादीनां सर्वद्रव्यानाच वर्णनादिप्रश्नाः / // 953 //
SR No.600444
Book TitleVyakhyapragnaptisutram Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDivyakirtivijay
PublisherShripalnagar Jain Shwetambar Murtipujak Derasar Trust
Publication Year2012
Total Pages574
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_bhagwati
File Size15 MB
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