________________ श्रीभगवत्यई श्रीअभय वृत्तियुतम् भाग-२ // 952 // ॥द्वादशशतके पञ्चम उद्देशकः॥ अनन्तरोद्देशके पुद्गला उक्तास्तत्प्रस्तावात्कर्मपुद्गलस्वरूपाभिधानाय पञ्चमोद्देशकमाह 1 रायगिहे जाव एवं व०- अह भंते! पाणाइवा० मुसा० अदि० मेहु० परि० एस णं कतिवन्ने कतिगंधे कतिरसे कतिफासे प०?, गोयमा! पंचवन्ने पंचरसे दुगंधे चउफासे प० ॥२अह भंते! कोहे 1 कोवे 2 रोसे 3 दोसे 4 अखमे 5 संजलणे 6 कलहे 7 चंडिक्क 8 भंडणे 9 विवादे 10 एस णं कतिवन्ने जाव कतिफासे प०?, गोयमा! पंचवन्ने पंचरसे दुगंधे चउफासे प० // 3 अह भंते! माणे मदे दप्पे थंभे गव्वे अत्तुक्कोसे परपरिवाए उक्कासे अवकासे (उन्नते) उन्नामे दुन्नामे 12 एस णं कतिवन्ने 4?, गोयमा! पंचवन्ने जहा कोहे तहेव। 4 अह भंते! माया उवही नियडी वलये गहणे णूमे कक्के कुरूए जिम्हे किव्विसे 10 आयरणया गृहणया वंचणया पलिउंचणया सातिजोगे य 15 एस णं कतिवन्ने 4?, गोयमा! पंचवन्ने जहेव कोहे // 5 अह भंते! लोभे इच्छा मुच्छा कंखा गेही तण्हा भिज्झा अभिज्झा आसासणया पत्थणया 10 लालप्पणया कामासा भोगासाजीवियासा मरणासानंदीरागे 16 एसणं कतिवन्ने?,जहेव कोहे / 6 अह भंते! पेजे दोसे कलहे जाव मिच्छादसणसल्ले एस णं कतिवन्ने! जहेव कोहे तहेव चउफासे ॥सूत्रम् 449 // अह भंते! पाणाइवायवेरमणे जाव परिग्गहवेरमणे कोहविवेगे जाव मिच्छादसणसल्लविवेगे एसणं कतिवन्ने जाव कतिफासे प०?, गोयमा! अवन्ने अगंधे अरसे अफासे प०॥८अह भंते! उप्पत्तिया वेणइया कम्मिया परिणामिया एस णं कतिवन्ना तं चेव जाव अफासा प० ॥९अह भंते! उग्गहे ईहा अवाये धारणा एस णं कतिवन्ना?, एवं चेव जाव अफासा प०॥१० अह भंते! उट्ठाणे कम्मे बले वीरिए पुरिसक्कारपरक्कमे एस णं कतिवन्ने? तं चेव जाव अफासे प० / 11 सत्तमे णं भंते! उवासंतरे कतिवन्ने? एवं चेव जाव अफासे प० / 12 सत्तमे णं भंते! तणुवाए कतिवन्ने?, जहा पाणाइवाए, नवरं अट्ठफासे प०, एवं जहा सत्तमे तणुवाए तहा 12 शतके उदशकः 5 प्राणातिपाताधधिकारः। सूत्रम् 449 प्राणातिपातादिक्रोधमानमायालोभरागादीनां वर्णादियुक्तता प्रश्ना : / | सूत्रम् 450 प्राणातिपातादिविरमणमतिअवग्रहादि| उत्थानादि| सप्तमावकाशान्तरतनुवातनै०आदि| पृथिवीकायि| कादीनां | सर्वद्रव्यानाश्च वर्णनादि|प्रश्नाः / // 952 //