________________ श्रीभगवत्यङ्ग श्रीअभय वृत्तियुतम् भाग-२ // 944 // दसहावि संखिज्जा असंखिज्जा अणंतहावि कज्जइ, दुहा कजमाणे एगयओ परमाणुपोग्गले एगयओ अणंतपएसिए खंधे जाव अहवा दो अणंतपएसियाखंधा भ०, तिहा कज्जमाणे एग० दो परमाणुपो० एग० अणंतपएसिए भ० अहवा एग० परमाणुपो० एग दुपएसिए एग० अणंतपएसिए भ० जाव अहवा एग० परमाणु एग० असंखेज्जपएसिए एग० अणंतपएसिए भवति अहवा एग० परमाणु एग दो अणंतपएसिया भ० अहवा एग• दुपएसिए एग दो अणंतपएसिया भवंति एवं जाव अहवा एग० दसपएसिए एगयओ दो अणंतपएसिया खंधा भ० अहवा एग• संखेजपदे एग० दो अणंतपएसिया खंधा भ० अहवा एग० असंखेज्जपएसिए खंधे एग० दो अणंतपएसिया खंधा भवंति अहवा तिन्नि अणंतपएसिया खंधा भ०, चउहा कजमाणे एग• तिन्नि परमाणुपो० एग० अणंतपएसिए भ० एवं चउक्कसंजोगोजाव असंखेज्जगसंजोगो, एते सव्वे जहेव असंखेजाणं भणिया तहेव अणंताणवि भाणियव्वा नवरं एवं अणंतगं अब्भहियं भाणियव्वं जाव अहवा एगयओ संखेज्जा संखिज्जपएसिया खंधा एग० अणंतपएसिया भवंति अहवा एग० संखेज्जा असंखेज्जपएसिया खंधा एग० अणंतपएसिए खंधे भ० अहवा संखिज्जा अणंतपएसिया खंधा भवंति, असंखेज्जहा कज्जमाणे एगयओ असंखेज्जा परमाणुपो० एग० अणंतपएसिए खंधे भ० अहवा एग० असंखिज्जा दुपएसिया खंधा एग० अणंतपएसिए भ० जाव अहवा एग० असंखेजा संखिजपएसिया एग० अणंतपएसिए भ० अहवा एग० असंखिज्जा असंखिजपएसिया खंधा एग० अणंतपएसिए भवति अहवा असंखेज्जा अणंतपएसिया खंधा भवंति, अणंतहा कज्जमाणे अणंता परमाणुपोग्गला भवंति / / सूत्रम् 445 // 1 रायगिह इत्यादि, एगयओ त्ति, एकत्वत एकतयेत्यर्थः, साहन्नति त्ति संहन्येते संहतौ भवत इत्यर्थः, द्विप्रदेशिकस्कन्धस्य भेदे एको विकल्पः, 2 त्रिप्रदेशिकस्य द्वौ, 3 चतुष्प्रदेशिकस्य चत्वारः, 4 पञ्चप्रदेशिकस्य षट्, 5 षट्प्रदेशिकस्य दश, 6 12 शतके उद्देशक:४ पुदलाधिकारः। सूत्रम् 445 एकद्विव्यादिदश यावत्सङ्खयेयासडोया| नन्ताणुएक| तयास्कन्धेन| भेदेन च स्कन्धादिभनाः। // 944 //