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________________ श्रीभगवत्यह श्रीअभय. वृत्तियुतम् भाग-२ // 943 // संखेज्जा परमाणुपोग्गला भवंति। 11 असंखेज्जा भंते! परमाणुपो० एग० साहणंति एग० साहणित्ता किं भ०?, गोयमा! असंखेजपएसिएखंधे भवति, से भिजमाणे दुहावि जाव दसहावि संखेज्जहावि असंखेज्जहावि कज्जइ, दुहा कज्जमाणे एग. परमाणुपो० एग० असंखेजपएसिए भ० जाव अहवा एग० दसपएसिए एग० असंखिज्जपएसिए भ० अहवा एग० संखेजपएसिएखंधे एग० असंखेज्जपएसिएखंधे भ० अहवा दो असंखेजपएसिया खंधा भ०, तिहा कज्जमाणे एग० दो परमाणुपो० एग० असंखेजपएसिए भ० अहवा एग० परमाणुपो० एग० दुपएसिए एग० असंखिज्जपएसिए भ० जाव अहवा एग० परमाणुपो० एग० दसपएसिए एग० असंखेजपएसिए भ० अहवा एगे परमाणुपो० एगे संखेजपएसिए एगे असंखेजपएसिए भ० अहवा एगे परमाणुपो० एग० दो असंखेज्जपएसिया खंधा भ० अहवा एगे दुपएसिए एग० दो असंखेज्जपएसिया भ० एवं जाव अहवा एगे संखेज्जपएसिए भवति एग० दो असंखिज्जपएसिया खंधा भवंति अहवा तिन्नि असंखेजपएसिया भवंति, चउहा कज्जमाणे एग० तिन्नि परमाणुपो० एग० असंखेजपएसिए भवति एवं चउक्कगसंजोगो जाव दसगसंजोगो एए जहेव संखेजपएसियस्स नवरं असंखेज्जगंएगं अहिगंभाणियव्वं जाव अहवा दस असंखेज्जपएसिया खंधा भवंति, संखेजहा कज्जमाणे एगयओ संखेज्जा परमाणुपो० एग० असंखेजपएसिए खंधे भवति अहवा एग० संखेजा दुपएसिया खंधा एग० असंखेज्जपएसिएखंधे भवति एवं जाव अहवा एग० संखेज्जा दसपएसिया खंधा एग० असंखेजपएसिए खंधे भ० अहवा एग० संखिज्जासंखिज्जपएसिया खंधा एग० असंखिजपएसिएखंधे भ० अहवा संखेजा असंखेजपएसिया खंधा भ०, असंखिजहा कजमाणे असंखेज्जा परमाणुपोग्गला भवंति। 12 अणंताणंभंते! परमाणुपोग्गलाजाव किं भवंति?,गोयमा! अणंतपएसिएखंधे भवति, से भिजमाणे दुहावि तिहाविजाव 12 शतके उद्देशकः४ पुदलाधिकारः। सूत्रम् 445 एकद्वित्र्यादिदश यावत्सङ्घयेयासङ्घयेयानन्ताणुएकतयास्कन्धेनभेदेनच स्कन्धादिभङ्गाः। // 24 //
SR No.600444
Book TitleVyakhyapragnaptisutram Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDivyakirtivijay
PublisherShripalnagar Jain Shwetambar Murtipujak Derasar Trust
Publication Year2012
Total Pages574
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_bhagwati
File Size15 MB
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