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________________ श्रीभगवत्यङ्ग श्रीअभय. वृत्तियुतम् भाग-२ // 942 // भवति अहवा एगयओ दुपएसिए खंधे एग० संखेजपएसिए खंधे भ० एवं अहवा एग० तिपएसिए एग० सं० खंधे भवति एवं जाव अहवा एग० दसपएसिए खंधे एग० संखेज्जपएसिए खंधे भ० अहवा दो संखेजपएसिया खंधा भवंति, तिहा कज्जमाणे एग० दो परमाणुपो० एगयओ संखेज्जपएसिए खंधे भ० अहवा एग० परमाणुपो० एगयओ दुपएसिए खंधे० एग० संखेज्जपएसिए खंधे भ० अहवा एग• परमाणुपो० एगयओ तिपएसिए खंधे० एग० संखेज्जपएसिए खंधे भ० एवं जाव अहवा एग० परमाणुपो० एगयओ दसपएसिए खंधे० एग० संखेज्जपएसिए खंधे भ० अहवा एग० परमाणुपो० एगयओ दो संखेजपएसिया खंधा भवंति अहवा एग० दुपएसिए० एग० दो संखेजपएसिया खंधा भवंति, एवं जाव अहवा एग० दसपएसिए० एग० दो संखेजपएसिया खंधा भवंति अहवा तिन्नि संखेजपएसिया खंधा भवंति, चउहा कज्जमाणे एगयओ तिन्नि परमाणुपो० एग० संखेजपएसिए भ० अहवा एग० दो परमाणुपो० एग दुपएसिए० एग० संखेजपएसिए भ० अहवा एगयओ दो परमाणुपो० एग तिप्पएसिए० एग• संखेजपएसिए भ० एवं जाव अहवा एग दो परमाणुपो० एग० दसपएसिए एग० संखेज्जपएसिए भ० अहवा एग० दो परमाणुपो० एग० दो संखेजपएसिया खंधा भवंति अहवा एग० परमाणुपो० एगयओ दुपएसिए एग० दो संखेजपएसिया खंधा भ० जाव अहवा एग० परमाणुपो० एग० दसपएसिए एग० दो संखेज्जपएसिया खंधा भवंति अहवा एग० परमाणुपो० एग० तिन्नि संखेजपएसिया खंधा भ० अहवा एग० दुपएसिए एग० तिन्नि संखेजपएसिया भ० जाव अहवा एग० दसपएसिए एग० तिन्नि संखेजपएसिया भ० अहवा चत्तारि संखेजपएसिया भवंति एवं एएणं कमेणं पंचगसंजोगोवि भाणियव्वोजाव नवगसंजोगो, दसहा कज्जमाणे एगयओनव परमाणुपो० एग० संखेजपएसिए भ० अहवा एग० अट्ठ परमाणुपो० एग• दुपएसिए एगयओ संखेजपएसिए खंधे भ०, एएणं कमेणं एक्केको पूरेयव्वोजाव अहवा एगयओदसपएसिएएग. नवसंखेजपएसिया भ० अहवा दस संखेजपएसिया खंधा भवंति संखेज्जहा कज्जमाणे 12 शतके उद्देशक:४ पुदलाधिकारः। सूत्रम् 445 एकद्वित्र्यादिदश यावत्सलयेयासङ्खयेयानन्ताणुएकतयास्कन्धेनभेदेन च स्कन्धादिभङ्गाः / // 942
SR No.600444
Book TitleVyakhyapragnaptisutram Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDivyakirtivijay
PublisherShripalnagar Jain Shwetambar Murtipujak Derasar Trust
Publication Year2012
Total Pages574
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_bhagwati
File Size15 MB
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