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________________ श्रीभगवत्यङ्गं श्रीअभय वृत्तियुतम् भाग-२ // 924 // समणोवा० अयमेयारूवे अब्भत्थिए जाव समुप्पज्जित्था-नोखलु मे सेयं तं विउलं असणं जाव साइमं अस्सा(आसा)एमाणस्स 4 पक्खियं पोसहं पडिजागरमाणस्स विहरित्तए, सेयं खलु मे पोसहसालाए पोसहियस्स बंभचारिस्स उम्मुक्कमणिसुवन्नस्स ववगयमालावन्नगविलेवणस्स निक्खित्तसत्थमुसलस्स एगस्स अबिइयस्स दब्भसंथारोवगयस्स पक्खियं पोसहं पडिजाग० विहरित्तएत्तिक? एवं संपेहेति २त्ता जेणेव सावत्थीनगरी जे० सए गिहे जे० उप्पला समणोवासिया ते. उवा० २त्ता उप्पलं समणोवासियं आपुच्छड़ रत्ता जे० पोसहसाला तेणेव उवागच्छइ रत्ता पोसहसालं अणुपविसइ रत्ता पोस० पमज्जइ पो० २त्ता उच्चारपासवणभूमी पडिलेहेइ उ० रत्ता दब्भसंथारगं संथरति द० सं०रत्ता दब्भसंथारगं दुरूहइ दु० रत्ता पोसहसालाए पोसहिए बंभयारी जाव पक्खियं पोसहं पडिजागरमाणे विहरति, 3 तए णं ते समणोवासगा जे० सावत्थी नगरी जे. साइं गिहाइं तेणेव उवाग० रत्ता विपुलं असणं पाणं खाइमं साइमं उवक्खडावेंति उ० २त्ता अन्नमन्नेसद्दावेंति अ० रत्ता एवंव०- एवं खलु देवाणु०! अम्हेहिं से विउले असणपाणखाइमसाइमे उवक्खडाविए, संखे यणं समणोवासए नो हव्वमागच्छइ, तंसेयं खलु देवाणु०! अम्हं संखंसमणोवासगंसद्दावेत्तए।४ तए णंसे पोक्खली समणोवासएतेसमणोवासए एवं व०- अच्छहणं तुझे देवाणु०! सुनिव्वुया वीसत्था अहन्नं संखं समणो० सद्दावेमि त्तिकट्ठ तेसिं समणोवासगाणं अंतियाओ पडिनिक्खमति प० रत्ता सावत्थीए न० मज्झमझेणं जे० संखस्स समणोवा गिहे ते. उवाग० २त्ता संखस्स समणोवा० गिहं अणुपवितु।५ तएणं सा उप्पला समणोवासिया पोक्खलिं समणोवासयं एजमाणं पासइ पा० २त्ता हट्ठतुट्ठ• आसणाओ अब्भुटेइ अ०२त्ता सत्तट्ठ पयाई अणुगच्छइ रत्ता पोक्खलिं समणोवासगं वंदति नमंसति वं० न०त्ता आसणेणं उवनिमंतेइ आ० २त्ता एवं व०- संदिसंतुणं देवाणु०! किमागमणप्पयोयणं?, तएणं से पोक्खली समणोवासए उप्पलं समणोवासियं एवं व०- कहिन्नं देवाणुप्पिए! संखेसमणोवासए?, तएणं सा उप्पला समणोवासिया पोक्खलं समणोवासयं एवं 12 शतके उद्देशकः१ शङ्काधिकारः। सूत्रम् 438 शङ्कपुष्कल्यादि श्रमणोपासकानामाहारेणसह पौषध संबंधी वार्तालाप: प्रभुपृच्छा शड्कथनसत्यतादि। // 924 //
SR No.600444
Book TitleVyakhyapragnaptisutram Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDivyakirtivijay
PublisherShripalnagar Jain Shwetambar Murtipujak Derasar Trust
Publication Year2012
Total Pages574
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_bhagwati
File Size15 MB
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