________________ श्रीभगवत्यङ्गं श्रीअभय वृत्तियुतम् भाग-२ // 913 // |11 शतके उद्देशकः 11 कालाधिकारः। सूत्रम् 430 महाबलपाणिग्रहणविस्तृतप्रीतिदानादि। जाणप्पवराइं अट्ठ जुगाइं जुगप्पवराई एवं सिबियाओ एवं संदमाणीओ एवं गिल्लीओ थिल्लीओ अट्ठ वियडजाणाइं वियडजाणप्पवराई अट्ठरहे पारिजाणिए अट्ठ रहे संगामिए अट्ठ आसे आसप्पवरे अठ्ठ हत्थी हत्थिप्पवरे अट्ठ गामे गामप्पवरे, दसकुलसाहस्सिएणं गामेणं, अट्ठ दासे दासप्पवरे एवं चेव दासीओ एवं किंकरे एवं कंचुइज्जे एवं वरिसधरे एवं महत्तरए अट्ठ सोवन्निए ओलंबणदीवे अट्ठ रुप्पामए ओलंबणदीवे अट्ठसुवन्नरुप्पामए ओलंबणदीवे अट्ठसोवन्निए उक्कंचणदीवे (अट्ठपंजरदीवे) एवं चेव तिन्निवि अट्ठसोवन्निए थाले अट्ट रुप्पमए थाले अट्ट सुवन्नरुप्पमए थाले अट्ठ सोवन्नियाओ पत्तीओ 3 अट्ट सोवन्नियाइं थासयाई 3 अट्ट सोवन्नियाई मंगल्लाई 3 अट्ट सोवन्नियाओ तलियाओ अट्ठ सोवन्नियाओ कावइआओ अट्ट सोवन्निए अवएडए अट्ट सोवनियाओ अवयक्काओ अट्ठसोवण्णिए पायपीढए 3 अट्ठसोवन्नियाओ भिसियाओ अट्ठसोवन्नियाओकरोडियाओ अट्ठसोवन्निए पल्लंके अट्ठ सोवन्नियाओ पडिसेजाओ अट्ठहंसासणाई अट्ठ कोंचासणाई एवं गरुलासणाई उन्नायासणाईपणयासणाईदीहासणाईभद्दासणाई पक्खासणाई मगरासणाई अट्ठ पउमासणाइं अट्ठदिसासोवत्थियासणाइं अट्टतेल्लसमुग्गे जहा रायप्पसेणइज्जेजाव अट्ठसरिसवसमुग्गे अट्ठखुजाओ जहा उववाइए जाव अट्ठ पारिसीओ अट्ठ छत्ते अट्ठ छत्तदा(धा)रिओ चेडीओ अट्ठ चामराओ अट्ठ चामरधारीओ चेडीओ अट्ठ तालियंटे अट्ठ तालियंटधारीओ चेडीओ अट्ठ करोडियाधारीओचेडीओ अट्ठखीरधातीओजाव अट्ठ अंकधातीओ अट्ट अंगमद्दियाओ अट्ठ उम्मद्दियाओ अट्ठ ण्हावियाओ अट्ट पसाहियाओ अट्ठ वन्नगपेसीओ अट्ट चुन्नगपेसीओ अट्ठ कोट्ठागारीओ अट्ठ दवकारीओ अट्ठ उवत्थाणियाओ अट्ठ नाडइज्जाओ अट्ठ कोडुंबिणीओ अट्ठ महाणसिणीओ अट्ठ भंडागारिणीओ अट्ठ अज्झाधारिणीओ अट्ठ पुप्फधरणीओ अट्ट पाणिघरणीओ अट्ट बलिकारीओ अट्ठ सेज्जाकारीओ अट्ठ अन्भिंतरियाओ पडिहारीओ अट्ठ बाहिरियाओ पडिहारीओ अट्ठ मालाकारीओ अट्ठ पेसणकारीओ अन्नं वा सुबहु हिरन्नं वा सुवन्नं वा कंसं वा दूसंवा विउलधणकणगजाव // 913 //