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________________ श्रीभगवत्यङ्गं श्रीअभय वृत्तियुतम् भाग-२ // 862 // कूलधमगा मितलुद्धा हत्थितावसा जलाभिसेयकिढिणगाया अंबुवासिणो वाउवासिणो जलवासिणो चेलवासिणो अंबुभक्खिणो वायभक्खिणो सेवालभक्खिणो मूलाहारा कंदाहारा पत्ताहारा पुप्फाहारा फलाहारा बीयाहारा परिसडियकंदमूलपंडुपत्तपुप्फफलाहारा उदंडा रुक्खमूलिया वालवासिणो वक्कपासिणो दिसापोक्खिया आयावणाहिं पंचग्गितावेहिं इंगालसोल्लियंपिव कंडुसोल्लियंपिव कट्ठसोल्लियंपिव अप्पाणंजाव करेमाणा विहरंति जहा उववाइए (औप०प०९०-१) जाव कट्ठसोल्लियंपिव अप्पाणं करेमाणा विहरंति // तत्थ णंजे ते दिसापोक्खियतावसा तेसिं अंतियं मुंडे भवित्ता दिसापोक्खियतावसत्ताए पव्वइत्तए, पव्वइएवि यणंसमाणे अयमेयारूवं अभिग्गहं अभिगिहिस्सामि-कप्पइमेजावज्जीवाए छटुंछट्टेणं अनिक्खित्तेणं दिसाचक्कवालेणंतवोकम्मेणं उडे बाहाओ पगिज्झिय 2 जाव विहरित्तएत्तिकट्ट, एवं संपेहेति 3 संपेहेत्ता कलं जाव जलंते सुबहु लोहीलोह जाव घडावेत्ता कोडुंबियपुरिसे सद्दावेइ रत्ता एवं व०-खिप्पामेव भो देवाणुप्पिया! हत्थिणागपुरं नगरं सब्भिंतरबाहिरियं आसिय जाव तमाणत्तियं पञ्चप्पिणंति, तएणं से सिवे राया दोच्चंपिकोडुंबियपुरिसे सद्दावेंति रत्ता एवं व०- खिप्पामेव भो देवाणु ! सिवभहस्स कुमारस्स महत्थं 3 विउलंरायाभिसेयं उवट्ठवेह, तएणं ते को पुरिसा तेहव उवट्ठवेंति, तएणं से सिवे राया अणेगगण-नायगदंडनायग जाव संधिपाल सद्धिं संपरिवुडे सिवभई कुमारं सीहासणवरंसि पुरत्थाभिमुहं निसीयावेन्ति रत्ता अट्ठसएणं सोवनियाणं कलसाणंजाव अट्ठसएणं भोमेजाणं कलसाणंसव्विड्डीए जावरवेणं महया २रायाभिसेएणं अभिसिंचइ रत्ता पम्हलसुकुमालाए सुरभिए गंधकासईए गायाई लूहेइ पम्ह० २त्ता सरसेणं गोसीसेणं एवं जहेव जमालिस्स (भ० श०९ उ०३३)अलंकारो तहेव जाव कप्परुक्खगंपिव अलंकियविभूसियं करेंति रत्ता करयल जाव कट्ट सिवभई कुमारंज० वि० वद्धावेंति जएणं विजएणं वद्धावेत्ता लताहिं इट्ठाहिं कंताहिं पियाहिं जहा उववाइए कोणियस्स जाव परमाउं पालयाहि इट्ठजणसंपिरवुडे हथिणपुरस्स नगरस्स अन्नेसिं च बहूणं 11 शतके उद्देशकः 9 शिवराजर्षिरधिकारः। सूत्रम् 417 हस्तिनापुरः शिवराजदिक्प्रोक्षकतापसप्रव्रज्यास्वीकारः यावज्जीवषष्ठतपाभिग्रहादि।
SR No.600444
Book TitleVyakhyapragnaptisutram Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDivyakirtivijay
PublisherShripalnagar Jain Shwetambar Murtipujak Derasar Trust
Publication Year2012
Total Pages574
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_bhagwati
File Size15 MB
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