________________ श्रीभगवत्यङ्गं श्रीअभय. वृत्तियुतम् भाग-२ // 845 // 10 शतके उद्देशक: 5 चमराद्यग्रमहिष्यधिकारः। सूत्रम् 405-406 चमराद्यग्रमहिषी वियालगस्सवि, एवं अट्ठासीतीएवि महागहाणंभाणियव्वंजाव भावकेउस्स, नवरं वडेंसगासीहासणाणियसरिसनामगाणि, सेसं तं चेव / 25 सक्कस्स णं भंते! देविंदस्स देवरन्नो पुच्छा, अजो! अट्ट अग्गमहिसी प०, तंजहा- पउमा सिवा सेया अंजू अमला अच्छरा नवमिया रोहिणी, तत्थ णं एगमेगाए देवीए सोलस सोलस देविसहस्सा परिवारो प०, पभूणं ताओ एगमेगा देवी अन्नाई सोलस देविसहस्सपरियारं विउव्वित्तए, एवामेव सपुव्वावरेणं अट्ठावीसुत्तरं देविसयसहस्सं परियारं विउवित्तए, सेत्तं तुडिए / 26 पभूणं भंते! सक्के देविंदे देवराया सोहम्मे कप्पे सोहम्मवडेंसए विमाणे सभाए सुहम्माए सक्वंसि सीहासणंसि तुडिएणं सद्धिं सेसंजहा चमरस्स, नवरंपरियारोजहा मोउद्देसए (भ.श.३ उ०१)।२७ सक्कस्सणं देविंदस्स देवरन्नोसोमस्स महारन्नो कति अग्गमहिसीओ?, पुच्छा, अजो! चत्तारि अग्गमहिसी प०, तंजहा-रोहिणी मदणा चित्ता सोमा, तत्थ णं एगमेगा० सेसं जहा चमरलोगपालाणं, नवरं सयंपभे विमाणे सभाए सुहम्माए सोमंसि सीहासणंसि, सेसंतंचेव, एवं जाव वेसमणस्स, नवरं विमाणाईजहा तइयसए (भ० श०३ उ०१)। 28 ईसाणस्स णं भंते! पुच्छा, अजो! अट्ठ अग्गमहिसी प०, तंजहा- कण्हा कण्हराई राम रामरक्खिया वसू वसुगुत्ता वसुमित्ता वसुंधरा, तत्थ णंएगमेगाए०, सेसंजहा सक्कस्स।२९ ईसाणस्सणंभंते! देविंदस्ससोमस्स महारण्णो कति अग्गमहिसीओ?, पुच्छा, अजो! चत्तारि अग्गमहिसी प०, तंजहा- पुढवी रायी रयणी विजू, तत्थ णं, सेसं जहा सक्कस्स लोगपालाणं, एवं जाव वरुणस्स, नवरं विमाणा जहा चउत्थसए (उ०१), सेसंतंचेव, जाव नोचेवणंमेहुणवत्तियं / सेवं भंते ! रत्तिजाव विहरइ ।।सूत्रम् 406 // 10-5 // 1 तेण मित्यादि, 3 से तं तुडिए त्ति तुडिकं नाम वर्गः, 4 वइरामएसु त्ति वज्रमयेषु, गोलवट्टसमुग्गएसु त्ति गोलकाकारा वृत्तसमुद्कागोल वृत्तसमुद्रकास्तेषु, जिणसकहाओत्ति जिनसक्थीनि जिनास्थीनि, अच्चणिज्जाओत्तिचन्दनादिना, वंदणिज्जाओ जिनास्थिसंनिधौ भोगसामर्थ्य: तद्वत्सोमादि बलीन्द्रादि यावच्छक्रेशानादिसम्बन्धी स्थविरप्रश्राः। // 845 //