________________ 3880808098809000 श्रीभगवत्यङ्गं श्रीअभय. वृत्तियुतम् भाग-२ // 844 // चमरलोगपालाणं, परियारो तहेव, नवरंकालाए रायहाणीए कालंसिसीहासणंसि, सेसंतंचेव, एवं महाकालस्सवि।१६ सुरूवस्स णंभंते! भूइंदस्स रन्नो पुच्छा, अजो! चत्तारि अग्गमहिसीओप०, तंजहा-रूववती बहुरूवा सुरूवा सुभगा, तत्थ णं एगमेगाए सेसं जहा कालस्स, एवं पडिरूवस्सवि / 17 पुन्नभद्दस्स णं भंते! जक्खिंदस्स पुच्छा अज्जो! चत्तारि अग्गमहिसीओप०, तंजहा-पुन्ना बहुपुत्तिया उत्तमा तारया, तत्थ णं एगमेगाए सेसं जहा कालस्स, एवं माणिभद्दस्सवि / 18 भीमस्स णं भंते! रक्खसिंदस्स पुच्छा, अज्जो! चत्तारि अग्गमहिसीओप०, तंजहा- पउमा पउमावती(वसुमती) कणगा रयणप्पभा, तत्थणं एगमेगा सेसं जहा कालस्स। एवं महाभीमस्सवि। 19 किन्नरस्स णं भंते! पुच्छा अजो! चत्तारि अग्गमहिसीओप०, तंजहा- वडेंसा केतुमती रतिसेणा रइप्पिया, तत्थ णं सेसंतं चेव, एवं किंपुरिसस्सवि। 20 सप्पुरिसस्स णं पुच्छा अजो! चत्तारि अग्गमहिसीओप०, तंजहा-रोहिणी नवमिया हिरी पुष्फवती, तत्थ णं एगमेगा०, सेसंतंचेव, एवं महापुरिसस्सवि / 21 अतिकायस्सणं पुच्छा, अज्जो! चत्तारि अग्गमहिसी प०, तंजहा- भुयंगा(सुभगा) भुयंगवती(भुयंगा) महाकच्छाफुडा, तत्थ णं०, सेसंतंचेव, एवं महाकायस्सवि। 22 गीयरइस्सणं भंते! पुच्छा, अज्जो! चत्तारि अग्गमहिसी प०, तंजहा- सुघोसा विमला सुस्सरा सरस्सई, तत्थ णं०, सेसंतं चेव, एवं गीय जसस्सवि, सव्वेसिं एएसिं जहा कालस्स, नवरं सरिसनामियाओरायहाणीओसीहासणाणि य, सेसंतंचेव / २३चंदस्सणं भंते! जोइसिंदस्स जोइसरन्नो पुच्छा, अज्जो चत्तारि अग्गमहिसी प०, तंजहा- चंदप्पभा दोसिणाभा अच्चिमाली पभंकरा, एवं जहा जीवाभिगमे जोइसियउद्देसए तहेव, सूरस्सवि सूरप्पभा आयवाभा अच्चिमाली पभंकरा, सेसंतं चेव, जहा (जाव) नोचेवणं मेहुणवत्तियं / 24 इंगालस्स णं भंते! महग्गहस्स कति अग्ग• पुच्छा, अजो! चत्तारि अग्गमहिसी प०, तंजहा- विजया वेजयंती जयंती अपराजिया, तत्थ णं एगमेगाए देवीए सेसं तं चेव जहा चंदस्स, नवरं इंगालवडेंसए विमाणे इंगालगंसि सीहासणंसि सेसं तं चेव, एवं जाव 10 शतके उद्देशक:५ चमराधग्रमहिष्यधिकारः। सूत्रम् 405-406 चमराद्यग्रमहिषीसंख्या, जिनास्थिसंनिधौ भोगसामर्थ्य: तद्वत्सोमादि बलीन्द्रादि यावच्छक्रेशानादिसम्बन्धी स्थविर