________________ श्रीभगवत्यङ्ग श्रीअभय वृत्तियुतम् भाग-२ // 835 // जोइस (सिए) वेमाणिय(ए) जाव (तेण) परंपरिडीए।२ अप्पड्डिएणंभंते! देवेसेम(हि)हड्डियस्य देवस्स मज्झंमज्झेणंवीइवइजा?, णो तिणटेसमटे।३स(मि)मिट्टीएणं भंते! देवे समड्डियस्स देवस्स मज्झमझेणं वीइवएजा?,णो ति० स०, पमत्तं पुण वीइव०,४ से णं भंते! किं विमोहित्ता पभू अविमोहित्ता पभू?, गोयमा! विमोहेत्ता पभू नो अविमोहेत्ता पभू / 5 से भंते! किं पुब्विं विमो० पच्छा वीइवएजा पुव्विं वीइवएत्ता पच्छा विमोहेजा?, गोयमा! पुव्विं वि० पच्छा वीइ० णो पुव्विं वीइवइत्ता पच्छा विमोहेजा।६ महिड्डीए णं भंते! देवे अप्पड्डियस्स देवस्स मज्झंम० वीइ०?, हंता वीइ०, 7 से णं भंते! किं विमोहित्ता पभू अविमोहेत्ता पभू?, गोयमा! विमोहेत्तावि पभू अविमोहेत्तावि पभू, 8 से भंते! किं पुव्विं वित्ता पच्छा वीइ० पुव्विं वी०त्ता पच्छा विमो० / गोयमा! पुव्विंवा विमोहेत्ता पच्छा वीइ० पुव्विं वा वीइवएत्ता पच्छा विमो०।९ अप्पि(प्प)ड्डिएणं भंते! असुरकुमारे महड्डीयस्स असुरकु० मझंम० वीइ०? णो इणढे समढे, एवं असुरकुमारेवि तिन्नि आलावगा भाणियव्वा जहा ओहिएणं देवेणं भणिया, एवं जाव थणियकुमाराणं (रणं), वाणमंतरजोइसियवेमाणिएणं एवं चेव।१० अप्पड्डिएणंभंते! देवे महिड्डियाए देवीए(णय) मज्झंम० वीइ०?, णोइ०स०,११समड्डिएणंभंते! देवे समड्डियाए देवीए मज्झम०, एवं तहेव देवेण य देवीण यदंडओ भाणियव्वोजाव वेमाणियाए। 12 अप्पट्टियाणंभंते! देवी महड्डीयस्स देवस्स मज्झंम० एवं एसोवितइओदंडओभाणियव्वोजाव महड्डिया वेमाणिणी अप्पड्डियस्स वेमाणियस्स मज्झम० वीइ०?, हंता वीइ०।१३ अप्पड्डिया णं भंते! देवी महिड्डियाए देवीए मज्झंम० वीइ.?, णो इ० स०, एवं समडिया देवी समड्डियाए देवीए, तहेव, महड्डियावि देवी अप्पट्टियाए देवीए तहेव, एवं एक्कक्के तिन्नि 2 आला. भा० जाव महड्डिया णं भंते! वेमाणिणी अप्पड्डियाए वेमाणिणीए मज्झम० वीइ०?, हंता वीइ०, सा भंते! किं विमोहित्ता पभू तहेव जाव पुट्विं वा वीइवइत्ता पच्छा विमोहेजा एएचत्तारि दंडगा॥सूत्रम् 401 // 10 शतके | उद्देशक:३ | आत्मयोल्लंघनाधिकारः। सूत्रम् 401 आत्माऽऽवासोल्लंघनाल्पादिदेवदेव्योः परस्पर-मध्ये गमनादिप्रश्राः / // 835 //