________________ श्रीअभय वृत्तियुतम् भाग-२ // 810 // ९शतके उद्देशक: 33 ब्राह्मणकुण्डग्रामाधिकारः। सूत्रम् 386 जमालेबहि| विहाँपुन:२ पृच्छा , भगवतो मौनम्, विहारः, यत्सूचितं तदिदं तेणामेव उवागच्छइ रत्ता समणं भ० म० तिक्खुत्तो आयाहिणं पयाहिणं पकरेइ 2 वं नम वंदित्ता नमंसित्ता एवं व० आलित्ते णं भंते! लोए इत्यादि, व्याख्यातं चेदं प्रागिति // 385 // 30 तए णं से जमाली अणगारे अन्नया कयाई(इ) जेणेव समणे भ० म० ते. उवा० ते० उ०त्ता समणं भ० म०व० नम० वंदित्ता रत्ता एवं व०- इच्छामिणं भंते! तुझेहिं अब्भणुनाए समाणे पंचहिं अणगारसएहिं सद्धिं बहिया जणवयविहारं विहरित्तए, तएणं से समणे भ० म० जमालिस्स अण० एयमटुंणो आढाइणो परिजाणाइतुसिणीए संचिट्ठइ / तएणं से जमाली अण० समणंभ० म० दोच्चंपि तच्चंपि एवं व०- इच्छामि णं भंते! तु० अब्भ० स० पंचहिं अणगारसएहिंस. जाव विह०, तएणं समणे भ० म० जमालिस्स अण. दो० त० एयमटुंणो आ० जाव तुसि० संचि० / तएणं से जमाली अण० समणं भ० म० 0 णमं० वंदित्ता णमं० समणस्स भ० म० अंतियाओ बहुसालाओ चेइयाओ पडिनिक्खमइ रत्ता पंचहिं अणगारसएहिं सद्धिं बहिया जणवयविहारं विहरइ, 31 तेणं कालेणं 2 सावत्थीनामं णयरी होत्था वन्नओ(औप०प०१-१), कोट्ठए चेइए वन्नओ(औप०प०४-२), जाव वणसंडस्स, तेणं कालेणं 2 चंपा नाम नयरी होत्था वन्नओ पुन्नभद्दे चेइए वन्नओ, जाव पुढविसिलावट्टओ। तए णं से जमाली अणगारे अन्नया कयाइपंचहिं अणगारसएहिं सद्धिं संपरिवुडे पुव्वाणुपुट्विंचरमाणे गामाणुगामंदूइजमाणे जे० सावत्थी नयरी जे० कोट्ठए चेइएते. उवा० ते० उ०त्ता अहापडिरूवं उग्गहं उग्गिण्हति अहा० उ० उ०त्ता संजमेणं त० अ० भावेमाणे विहरइ। तए णं समणे भ० म० अन्नया कयावि पुव्वाणुपुव्विंचरमाणे जाव सुहं सुहेणं विहरमाणे जे. चंपानगरी जे. पुन्नभद्दे चेइए ते. उवा० ते० उ०त्ता अहापडिरूवं उग्गहं उग्गिण्हति अहा० २त्ता संजमेणं त० अ० भावेमाणे विहरइ // 32 तएणं तस्स जमालिस्स अण० तेहिं अरसेहि य विरसेहि य अंतेहि य पंतेहि य लूहेहि य तुच्छेहि य कालाइक्कतेहि य पमाणाइक्कतेहि यसीतएहि य पाणभोयणेहिं अन्नया कयावि(इं) सरीरगंसि व्याधिः, संस्तारकसंस्तरणाउज्ज्ञा , चलमानश्वलित इत्याद्यश्रद्धानिहवतादि। 8 // 810 //