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________________ श्रीभगवत्यङ्ग श्रीअभय वृत्तियुतम् भाग-२ // 793 // समाणा हट्टतुट्ठ० ण्हाया कयबलिकम्मा कयकोउयमंगलपायच्छित्ता एगाभरण-वसण-गहिय-निजोया जेणेव जमालिस्स खत्ति० पिया तेणेव उवागच्छइ ते० रत्ता करयलजाव वद्धावेत्ता एवंव०- संदिसंतुणं देवाणु०! जं अम्हेहिं करणिज्जं, तएणं से जमालिस्स खत्तिः पिया तंको वरतरुणसहस्संपिएवं वदा(या)सी-तुज्झे(ब्भे) णं देवाणु०! ण्हाया कयबलि• जाव गहियनिजोगाजमालिस्स खत्ति० सीयं परिवहह / तए णं ते को पुरिसा जमालिस्स खत्ति० जाव पडिसुणेत्ता बहाया जाव गहियनिजोगा जमालिस्स खत्ति. सीयं परिवहति / तएणं तस्स जमालिस्स खत्ति पुरिससहस्सवाहिणीं सीयं दुरूढस्ससमाणस्स तप्पढमयाए इमे अट्ठट्ठमंगलगा पुरओ अहाणुपुव्वीए संपट्ठिया, तं०- सोत्थिय सिरिवच्छजाव दप्पणा, तदाणंतरं च णं पुन्नकलसभिंगारं जहा उववाइए जाव गगणतलमणुलिहंती पुरओ अहाणुपुव्वीए संपट्ठिया, एवं जहा उववाइए तहेव भाणियव्वं जाव आलोयंवा करेमाणा जय 2 सइंच पउंजमाणा पुरओ अहाणुपुव्वीए संपट्ठिया। 7 तदाणंतरं च णं बहवे उग्गा भोगा जहा उववाइए जाव महापुरिस-वगुर(रा)परिक्खित्ता जमालिस्सखत्तियस्स पुरओ यमग्गओयपास(सा)ओय अहाणुपुव्वीए संपट्ठिया। 26 तएणं से जमालिस्स खत्ति० पिया ण्हाया कय(बलिकम्मा)जाव विभूसिए हत्थिखंधवरगए सकोरेंटमल्लदामेणं छत्तेणं धरिजमाणेणं सेयवरचामराहिं उद्धव्वमाणे 2 हयगयरहपवरजोहकलियाए चाउरंगिणीए सेणाए सद्धिं संपरिवुडे महयाभडचडगर जाव परिक्खित्तेजमालिस्सखत्तियकुमारस्स पिट्ठओ 2 अणुगच्छइ / तए णं तस्स जमालिस्स खत्ति पुरओ 0 महं आसा आसवरा उभओ पासिंणागा णागवरा पिट्ठओ रहा रहसंगेल्ली / तए णं से जमाली खत्तियकुमा(रे)रस्स अब्भुग्गय(त)भिंगारे परिग्गहिय तालियंटे ऊसवियसेतछत्ते पवीइय-सेतचामरवाल-वीयणी(णा)ए सव्विड्डीए जाव णादितरवेणं / तया(य)णंतरं च णं बहवे लट्ठिग्गा(ग्ग)हा कुंतग्गा(ग्ग)हा जाव पुत्थयगा(ग्ग)हा जाव वीणगाहा, तयाणंतरं च णं अट्ठसयं गयाणं अट्ठसयं तुरयाणं अट्ठसयं रहाणं तयाणंतरं च णं |९शतके उद्देशक: 33 ब्राह्मणकुण्डग्रामाधिकारः। सूत्रम् 385 जमालीनिष्क्रमणमहोत्सवः। अभिषेकरजोहरणाऽऽनयनाग्रकेशदूरीकरणस्नानवस्त्र| शिबिकादिऋद्धिसहगमनं शिष्यदान| लोचदीक्षादि। // 793 //
SR No.600444
Book TitleVyakhyapragnaptisutram Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDivyakirtivijay
PublisherShripalnagar Jain Shwetambar Murtipujak Derasar Trust
Publication Year2012
Total Pages574
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_bhagwati
File Size15 MB
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