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________________ श्रीभगवत्यङ्गं श्रीअभय वृत्तियुतम् भाग-२ // 790 // ९शतके उद्देशक: 33 ब्राह्मणकुण्डग्रामाधिकारः। सूत्रम् 385 RRC - R100000000ल्ल खत्तियकुंडग्गामं नगरं सब्भिंतरबाहिरियं आसिय-संमजि-ओवलित्तंजहा उववाइए जावपञ्चप्पिणंति, तएणं से जमालिस्स खत्ति० पिया दोच्चंपिकोडुंबियपुरिसे सद्दावेइ सद्दावइत्ता एवं व०-खिप्पामेव भो देवाणुप्पिया! जमालिस्स खत्तियकुमारस्स महत्थं महग्धं महरिहं विपुलं निक्खमणाभिसेयं उवट्ठवेह, तएणंते कोडुंबियपुरिसा तहेवजाव पञ्चप्पिणंति, तएणंतंजमालिंखत्ति० अम्मापियरो सीहासणवरंसि पुरत्थाभिमुहं निसीयावेति निसीयावेत्ता अट्ठसएणं सोवन्नियाणंकलसाणं एवं जहा रायप्पसेणइजेजाव अट्ठसए(या)णं भोमेजाणं कलसाणं सव्विड्डीए जाव रवेणं महया महया निक्खमणाभिसेगेणं अभिसिंचइ 24 निक्ख०णं अत्ता करयल जाव जएणं विजएणं वद्धावेन्ति,ज० वि०व०त्ता एवंव०-भण जाया! किं देमो! किंपयच्छामो? किणा वा ते अट्ठो?, तएणं से जमाली खत्ति० अम्मापियरो एवं व०- इच्छामिणं अम्म! ताओ! कुत्तियावणाओ रयहरणंच (वा) पडिग्गहं च (वा) आणिउं कासवगंच सद्दाविलं, तएणं से जमालिस्स खत्ति पिया कोडं सद्दावेइ रत्ता एवंव०-खिप्पामेव भो देवाणुप्पिए(या-ये)! सिरिघराओ तिन्नि सयसहस्साइंगहाय दोहि सयसहस्सेहिं कुत्तियावणाओ रयहरणंच (वा) पडिग्गहंच (वा) आणेह सयसहस्सेणं कासवगंचसहावेह, तए णं ते को पुरिसा जमालिस्स खत्ति पिउणा एवं वुत्ता(ते) समाणा(णे) हट्ठतुट्ठा(8) करयल जाव पडिसुणेत्ता खिप्पामेव सिरिघराओ तिन्निसयसहस्साई तहेव जाव कासवगंसद्दावेंति। तएणं से कासवए जमालिस्स खत्ति पिउणा को पुरिसेहिं सद्दाविए समाणे हटे(ट्ठ) तुढे ण्हाए कयबलिकम्मे जाव सरीरे जेणेव जमालिस्स खत्तियकुमारस्स पिया ते उवाग० ते. उत्ता करयल. जमालिस्स खत्ति पियरंजएणं विजएणं वद्धावेइ ज. वि. वत्ता एवं व०- संदिसंतुणं देवाणुप्पिया! जंमए करणिजं, तएणं से जमालिस्स खत्ति पिया तं कासवर्ग एवं व. तुमं देवाणुल! जमालिस्स खत्तिः परेणं जत्तेणं चउरंगुलवजे निक्खमणपयो(ओपाओ)गे अग्गकेसे (पडि)कप्पेहि, तए णं से कासवे जमालिस्स खत्ति पिउणा एवं वुत्ते समाणे हट्ठतुढे करयल जाव एवं सामी! जमालीनिष्क्रमणमहोत्सवः। अभिषेकरजोहरणाउनयनानकेशदूरीकरणस्नानवस्त्रशिबिकादिऋद्धिसहगमनं शिष्यदानलोचदीक्षादि। क 8 // 790 //
SR No.600444
Book TitleVyakhyapragnaptisutram Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDivyakirtivijay
PublisherShripalnagar Jain Shwetambar Murtipujak Derasar Trust
Publication Year2012
Total Pages574
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_bhagwati
File Size15 MB
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