________________ श्रीभगवत्यङ्ग श्रीअभय. वृत्तियुतम् भाग-२ // 760 // सेसा जहा नेरइया, नवरंजोइसियवेमाणिया चयंति अभिलावो, जाव संतरंपि वेमाणिया चयंति निरंतरं वे० चयंति // 44 सं(स)तो भंते! नेरतिया उववजंति असंतो भंते! ने० उववजंति?, गंगेया! संतो ने उववखंति नो असंतो ने उववजंति, एवं जाव वे०, 45 संतो(स) भंते! नेरतिया उववट्ठति असंतो ने उववद्वृति?, गंगेया! संतो ने० उववटुंति नो असंतो ने० उववढेंति, एवं जाव वे०, नवरं जोइसियवेमाणिएसुचयंति भाणियव्वं / 46 सओ भंते! ने० उववèति असंतो भंते! ने० उववटुंति संतो असुरकुमारा उववटुंति जाव सतो वे उववजंति असतो वेमाणिया उववजंति सतो नेरतिया उववति असतो ने० उववढेंति संतो असुरकु० उववटुंति जाव संतोवे० चयंति असतो वे चयंति?, गंगेया! सतो ने उववजंति नो असओ ने उववर्ल्ड(जं)ति, सओ असुरकु. उववजंति नो असतो असुरकु० उववखंति जावसओ वेमाणिया उववजंति नो असतो वे उववखंति, सतो नेरतिया उववटुंति नो असतो ने० उववनंति जाव सतो वे० चयंति नो असतो वे०, से केणटेणं भंते! एवं वु. सतो नेरइया उववजंति नो असतो ने उववजंति जाव सओ वे० चयंति नो असओवे० चयंति?, से नूणं भंते! गंगेया! पासेणं अरहया पुरिसादाणीएणं सासए लोए बुइए अणादीए अणवयग्गे जहा पंचमसए (भ-श०५ उ०९) जावजे लोक्कइसे लोए, से तेणटेणं गंगेया! एवं वु० जाव सतो वेमाणिया चयंतिनो असतो वे० चयंति / / 47 सयं भंते! एवं जाणह उदाहु असयं असोच्चा एते एवं जाणह उदाहु सोच्चा सतो ने उववखंति नो असतो ने उववजंति जावसओ वे. चयंति नो असओवे. चयंति?, गंगेया! सयं एते एवं जाणामि नो असयं, असोच्चा एते एवं जाणामि नो सोच्चा सतो ने उववखंति नो असओ ने उववखंति जाव सतो वे चयंति, नो असतो वे चयंति, से केणटेणं भंते ! एवं वु० तं चेव जाव नो असतो वेमाणिया चंयति?, गंगेया! केवली णं पुरच्छि(त्थि)मेणं मियंपि जाणइ अमियंपि जाणइ दाहिणेणं एवं जहा सगडु(सढु)द्देसए (भ०श०६ उ०४) जाव निव्वुडे नाणे केवलिस्स, से तेणटेणं गंगेया! एवं वु० तं चेव जाव नो असतो वे० चयंति॥४८ सयं भंते ! ने० नेरइएसु ९शतके उद्देशकः 32 गाङ्गेयाधिकारः। | सूत्रम् 378 नै० आदीनांसान्तरनिरन्तरोत्पादोद्वर्तनाप्रश्नाः / नै० आदीनांसदसदुत्पादोद्वर्तनातद्धेतु, भगवतः स्वयंज्ञान, नै०आदीनां स्वयमुत्पादादिप्रश्नाः / // 760 //