________________ श्रीभगवत्यङ्गं श्रीअभय वृत्तियुतम् भाग-२ // 754 // पंक० धूमप्पभाए य होज्जा 1 अहवा रयणप्पभाए जाव पंक० तमाए य होज्जा 2 अहवा रयण जाव पंक० अहेसत्तमाए य होज्जा 3 अहवारयण सक्कर. वालुय० धूम तमाए य होज्जा 4 एवं रयणप्पभं अमुयंतेसु जहा पंचण्हं प(पं?)ञ्च(क)संजोगोतहा भाणियव्वं जाव अ० रयण पंकप्पभा० जाव अहेसत्तमाए होज्जा अ० रयण सक्कर जाव धूमप्पभाए तमाए य होज्जा 1 अ० रयण जावधूम० अहेसत्तमाए य होज्जा 2 अ० रयण सक्कर० जाव पंक० तमाए य अहेसत्तमाए य होज्जा 3 अ० रयण सक्कर. वालुय० धूम० तमाए अहेसत्तमाए होज्जा 4 अ० रयण सक्कर० पंक० जाव अहेसत्तमाए य होज्जा 5 अ० रयण वालुय० जाव अहेसत्तमाए होज्जा 6 अ० रयण य सक्कर० जाव अहेसत्तमाए य होज्जा ७॥सूत्रम् 373 (अपूर्णम्)॥ ९शतके उद्देशकः 32 गाड्नेयाधिकारः। सूत्रम् 373 (अपूर्णम्) उत्कृष्टपदेनारकजीव प्रवेशनके, 17 त्रिकयोगे पञ्चदशभङ्गाः 123 124 137 157 चतुष्कसंयोगे विंशतिर्भङ्गाः 12 3 4 12 36 12 37 ک ج ک و و دوو ک د مر مر د مو مو مو و و و کی ک 1567 एवं 20 एकट्यादियोगा 7,6,15, 20,15,6 इत्यादिविविधभङ्गप्रश्नाः / rrrrrrrmmmmmm raranarroranarararar | द्विकयोगेषड्डङ्गाः | पञ्चकसंयोगे पञ्चदश भङ्गाः کي د 12345 12346 12347 12356 12457 12467 13 4 57 34 एवं 15 षड्योगे भङ्गकाः 123456 123457 123467 123567 124567 134567