________________ श्रीभगवत्यङ्ग श्रीअभयवृत्तियुतम् भाग-२ // 717 // ९शतके उद्देशकः 2 ज्योतिष्काधिकारः। सूत्रम् 363 जम्बूलवणधातकीकालोद| पुष्करेषु चन्द्रसूर्यप्रश्नाः / सूत्रमेवं केवइया चंदा पभासिंसु वा 3 केवतिया सूरिया तविंसु वा 3 इत्यादि प्रश्नसूत्रं पूर्ववत्, उत्तरं तु गोयमा! लवणे णं समुद्दे चत्तारि चंदा पभासिंसु वा 3 चत्तारि सूरिया तविंसु वा 3 बारसोत्तरं नक्खत्तसयं जोगं जोइंसु वा 3 तिन्नि बावन्ना महग्गहसया चारं चरिंसु वा 3 दोन्नि सयसहस्सा सत्तद्धिं च सहस्सा नवसया ताराणकोडिकोडीणं सोहं सोहिंसु वा 3 सूत्रपर्यन्तमाह जाव ताराओ त्ति तारकासूत्रं यावत्तच्च दर्शितमेवेति / धायइसंड यित्यादौ यदुक्तं जहा जीवाभिगमे तदेवं भावनीयं धायइसंडे णं भंते! दीवे केवतिया चंदा पभासिंसु वा 3 केवतिया सूरिया तविंसु वा 3? इत्यादिप्रश्नाः पूर्ववत्, उत्तरं तु गोयमा! बारस चंदा पभासिंसु वा 3 बारस सूरिया तविंसु वा 3, एवं चउवीसं ससिरविणो नक्खत्तसया य तिन्नि छत्तीसा। एगं च गहसहस्सं छप्पनं धायईसंडे॥१॥ अद्वैव सयसहस्सा तिन्नि सहस्साई सत्त य सयाई / धायइसंडे दीवे तारागणकोडिकोडीणं // 2 // सोहं सोहिंसु वा 3 / कालोए णं भंते! समुद्दे केवतिया चंदे त्यादि प्रश्नः, उत्तरंतु गोयमा! बायालीसं चंदा बायालीसंच दिणयरा दित्ता / कालोदहिमि एए चरंति संबद्धलेसागा॥१॥ नक्खत्तसहस्स एग एगं छावत्तरं च सयमन्नं / छच्च सया छन्नउया महागहा तिन्नि य सहस्सा // 2 // अट्ठावीसं कालोदहिमि बारस य तह सहस्साई। णव य सया पन्नासा तारागणकोडिकोडीणं // 3 // सोहं सोहिंसु वा 3 / तथा पुक्खरवरदीवे णं भंते! दीवे केवइया चंदे त्यादि प्रश्नः, उत्तरं त्वेतगाथाऽनुसारेणावसेयम्, चोयालं चंदसयं चोयालं चेव सूरियाण सयं / पुक्खरवरंमि दीवे भमंति एए पभासिंता॥१॥ इह च यद्धमणमुक्तं न तत्सर्वांश्चन्द्रादित्यानपेक्ष्य, किं तर्हि?, पुष्करद्वीपाभ्यन्तरार्द्धवर्तिनी द्विसप्ततिमेवेति, चत्तारि सहस्साई बत्तीसं चेव होंति नक्खत्ता। छच्च सया बावत्तरि महागहा बारससहस्सा॥१॥ छन्नउइ सयसहस्सा चोयालीसं भवे सहस्साई। चत्तारि सया पुक्खरि तारागणकोडिकोडीणं // 1 // सोहं सोहिंसु वा / तथा, अभिंतरपुक्खरद्धे णं भंते! केवतिया चंदा? इत्यादि प्रश्नः, उत्तरं तु बावत्तरिं च चंदा बावत्तरिमेव दिणयरा दित्ता। पुक्खरवरदीवड्ढे चरंति एए पभासिंता॥१॥ तिन्नि सया छत्तीसा छच्च सहस्सा महगहाणं // 717 //