________________ श्रीभगवत्यङ्गं श्रीअभय वृत्तियुतम् भाग-२ // 692 // भणियंतहेव देसबंधेणविभाणियव्वंजाव कम्मगस्सणं।१०० जस्स णंभंते! वेउब्वियसरीरस्स सव्वबं० सेणंभंते! ओरालियसरीरस्स ८शतके किं बं० अबं?, गोयमा! नो बं० अब०, आहारगसरीरस्स एवं चेव, तेयगस्स कम्मगस्स य जहेव ओरालिएणं समं भणियं तहेव उद्देशक:९ प्रयोगबन्धाभाणियव्वंजाव देस० नो सव्व०।१०१ जस्सणं भंते! वेउब्वियसरीरस्स देस० सेणंभंते! ओरालियसरीरस्स किंबं०अब?,गोयमा! घधिकारः। नो बं० अब०, एवं जहा सव्वबंधेणं भणियं तहेव देसबंधेणवि भाणियव्वं जाव कम्मगस्स। 102 जस्सणं भंते! आहारगसरीरस्स सूत्रम् 352 औदारिकासव्व० सेणं भंते! ओरालियसरीरस्स किंबं० अब०?, गोयमा! नो बं० अब०, एवं वेउब्वियस्सवि, तेयाकम्माणं जहेव ओरालिएणं दिदेशसर्व बन्ध समं भणियं तहेव भाणियव्वं / 103 जस्स णंभंते! आहारगसरीरस्स देस से णं भंते! ओरालियसरीर एवं जहा आहारगसरीरस्स वैक्रियादिसव्वबंधेण भणियंतहा देसबंधेणविभाणियव्वंजाव कम्मगस्स। 104 जस्सणंभंते! तेयासरीरस्स देस० सेणं भंते! ओरालियसरीरस्स | देशसर्व बन्धयोः किंबं० अबं०?, गोयमा! बं० वा अब० वा, 105 जइबं० किं देस. सव्व०?, गोयमा! देस० वा सव्व० वा, 106 वेउव्वियसरीरस्स परस्परकिं बं० अब०? एवं चेव, एवं आहारगसरीरस्सवि, 107 कम्मगसरीरस्स किं बं० अबं०?, गोयमा! बं० नो अब०, 108 जइ बं० किं संबन्ध प्रश्नाः / देस० सव्व०?, गोयमा! देसबंधए नो सव्व० / १०९जस्सणं भंते! कम्मग(म्मा)सरीरस्स देसबंधे से णंभंते! ओरालियसरीरस्स जहा तेयगस्स वत्तव्वया भणिया तहा कम्मगस्सविभाणियव्वा जाव तेयासरीरस्स जाव देसबंधए नो सव्वबंधए।सूत्रम् 352 // 94 जस्से त्यादि, नो बंधए त्ति, न ोकसमय औदारिकवैक्रिययोर्बन्धो विद्यत इतिकृत्वा नो बन्धक इति / 95 एवमाहारकस्यापि।९६-९७ तैजसस्य पुनः सदैवाविरहितत्वाइन्धको देशबन्धकेन, सर्वबन्धस्तु नास्त्येव तस्येति / 98 एवं। // 692 // कार्मणशरीरस्यापि वाच्यमिति / 99 एवमौदारिकसर्वबन्धमाश्रित्य शेषाणांबन्धचिन्तार्थोऽनन्तरं दण्डक उक्तोऽथौदारिकस्यैव देशबन्धकमाश्रित्यान्यमाह जस्स ण मित्यादि, 100 अथ वैक्रियस्य सर्वबन्धमाश्रित्य शेषाणां बन्धचिन्तार्थोऽन्यो दण्डकः,