________________ श्रीभगवत्यङ्ग श्रीअभय. वृत्तियुतम् भाग-२ // 678 // 808080808080888888888888888888 ववाइयकप्पातीयवेमाणियदेवपंचिंदियवेउव्वियसरीरप्पयोगबंधे य अपज्जत्तसव्वट्ठसिद्धअणुत्तरोववाइय जाव पयोगबंधे य / 43 वेउव्वियसरीरप्पयोगबंधे णं भंते! कस्स कम्मस्स उदएणं?, गोयमा! वीरियसजोगसद्दव्वयाए जाव आउयं वा लद्धिं वा पडुच्च वेउब्वियसरीरप्पयोगनामए कम्मस्स उदएणं वेउब्वियसरीर०।४४ वाउक्काइयएगिदियव(वे)उव्वियसरीरप्पयोग. पुच्छा, गोयमा! वीरिय-सजोग-सद्दव्वयाए (एव तं) चेव जाव लद्धिं च पडुच्च वाउक्काइयएगिदियवेउब्विय जाव बंधा।४५ रयणप्पभा(भ)पुढविनेरइयपंचिंदियवेउव्वियसरीरप्पयोगबंधेणंभंते! कस्स कम्मस्स उदएणं?,गोयमा! वीरियसयोगसद्दव्वयाएजाव आउयंवा पडुच्चरयणप्पभा(भ)पुढवि० जाव बंधे, एवंजाव अहेसत्तमाए।४६ तिरिक्खजोणियपंचिंदियवेउब्वियसरीरपुच्छा, गोयमा! वीरिय० जहा वाउक्काइयाणं, मणुस्सपंचिंदियवेउव्विय एवं चेव, असुरकुमारभवणवासिदेवपंचिंदियवेउव्विय० जहा(नेरइया एवं) रयणप्पभापुढविनेरइया एवं जाव थणियकुमारा, एवं वाणमंतरा एवं जोइसिया एवं सोहम्मकप्पोवगया वेमाणिया एवं जाव अचुयगेवेजकप्पातीया वेमाणिया(णेयव्वा), एवं चेव अणुत्तरोववाइयक वे० एवं चेव / 47 वेउव्वियसरीरप्पयोगबंधेणं भंते! किं देसबंधे सव्वबंधे?, गोयमा! देसबंधेवि सव्वबंधेवि, वाउक्काइयएगिंदिय एवं चेव रयणप्पभापुढविने एवं चेव, एवं जाव अणुत्तरोववाइया॥ 48 वेउव्वियसरीरप्पयोगबंधे णं भंते! कालओ केवच्चिर होइ?, गोयमा! सव्व० जह० एवं समयं उक्लो० दो समया, देस. जह० एक्कं समयं उक्को तेत्तीसंसागरोवमाईसमयूणाई॥४९ वाउक्काइएगिदियवेउव्वियपुच्छा, गोयमा! सव्व एवं समयं देस० जह० एवं समयं उक्को० अंतोमुहत्तं // 50 रयणप्पभापुढविनेरइय पुच्छा, गोयमा! सव्व एवं समयं देस० जह० दसवाससहस्साइंतिसमयऊणाई उक्को. सागरोवमंसमऊणं, एवंजाव अहेसत्तमा(ए), नवरं देस जस्स जाजहन्निया ठितीसा(ति) समऊणा कायव्वा जस्स जाव (जस्स जा उक्को) उक्कोसा सा समयूणा॥ Oपंचिंदियतिरिक्खजोणियाण मणुस्साण य जहा 8 शतके उद्देशकः प्रयोगबन्धाघधिकारः। सूत्रम् 349 नैरयिकादीनां वैक्रियशरीरप्रयोगबन्धस्यकर्म, देशबन्धादिकालान्तरादि अल्पबहुत्वादिप्रश्नाः। 88080808888888888 // 678 //