SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 130
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ श्रीभगवत्यङ्गं श्रीअभय वृत्तियुतम् भाग-२ // 652 // 22 कइ णं भंते! कम्मपयडीओ पन्नत्ताओ?, गोयमा! अट्ट कम्मपयडीओ प०, तंजहा- णाणावरणिज्जं जाव अंतराइयं / / 23 कइणं भंते! परीसहा प०?, गोयमा! बावीसं परीसहा प०, तंजहा-दिगिंछापरीसहे पिवासापरीसहेजाव दंसणपरीसहे। 24 एएणं भंते! बावीसं परीसहा कतिसुकम्मपगडीसुसमोयरंति?,गोयमा! चउसु कम्मपयडीसुसमोयरंति, तंजहा-नाणावरणिज्जे वेयणिज्जे मोहणिज्जे अंतराइए। 25 नाणावरणिज्जेणं भंते ! कम्मे कति परीसहा समो०?, गोयमा! दो परीसहा समो०, तंजहा- पन्नापरीसहे नाणपरीसहे य, 26 वेयणिज्जे णं भंते! कम्मे कति परीसहा समो०?, गोयमा! एक्कारस परीसहा समो०, तंजहा- पंचेव आणुपुव्वी चरिया सेज्जा वहे य रोगे य। तणफास जल्लमेव य एक्कारस वेदणिजंमि॥१॥ 27 दंसणमोहणिज्जे णं भंते! कम्मे कति परीसहा समो०?, गोयमा! एगे दंसणपरीसहे समो०, 28 चरित्तमोहणिज्जे णं भंते! कम्मे कति परीसहा समो०?, गोयमा! सत्त परीसहा समोयरंति, तंजहा- अरती अचेल इत्थी निसीहिया जायणा य अक्कोसे। सक्कारपुरकारे चरित्तमोहंमि सत्तेते // 1 // 29 अंतराइएणं भंते! कम्मे कति परीसहा समो०?, गोयमा! एगे अलाभपरीसहे समो० // 30 सत्तविहबंधगस्सणं भंते! कति परीसहा प०?, गोयमा! बावीसं परीसहा प०, वीसंपुण वेदेइ, जंसमयं सीयपरीसहं वेदेति णोतं समयं उसिणपरिसहं वेदेइ जसमयं उ०प० वे० णोतंसमयं सीयपरी० वे०, जं समयं चरियापरीसहं वे० णोतं समयं निसीहियापरीसहं वे जं समयं नि०प० वे णोतं समयं च०प० वे० / 31 अट्ठविहबंधगस्सणंभंते! कति परीसहा प०?, गोयमा! बावीसं परीसहा प०, तंजहा- छुहापरीसहे पिवासापरीसहे सीयप० दंसप० मसगप० जाव अलाभप०, एवं अट्ठविहबंधगस्सवि सत्तविहबंधगस्सवि। 32 छव्विहबंधगस्स णं भंते! सरागछउमत्थस्स कति परी०प०?, गोयमा! चोद्दस परी०प० बारस पुणवे०, जसमयं सीयपरीसहं वेदेइ णोतं समयं उसिणपरीसहं वेदेइ जंसमयं उ०प० वे० नोतं समयं सीयप० वे०, जसमयं चरियापरीसहं वे० णोतं समयं सेनापरी० वे जं समयं सेनापरी वेणोतं समयं चरियाप० 8 शतके उद्देशकः८ गुरुप्रत्यनीकाघधिकारः। सूत्रम् 343 कर्मप्रकृतिपरिषहभेद प्रश्नाः / परिषहानां प्रत्येककर्मप्रकृतिषु समावतारः, एकविधादि बन्धकस्य परिषह प्रश्नाः / // 652 //
SR No.600444
Book TitleVyakhyapragnaptisutram Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDivyakirtivijay
PublisherShripalnagar Jain Shwetambar Murtipujak Derasar Trust
Publication Year2012
Total Pages574
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_bhagwati
File Size15 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy