________________ श्रीभगवत्यङ्ग श्रीअभय वृत्तियुतम् भाग-२ // 632 // दीपस्वरूपं निरूपयन्नाह १५पई(दी)वस्सणं भंते! झियायमाणस्स किं पदीवे झियाति लट्ठी झियाइ वत्ती झि० तेल्ले झि दीवचंपए झि जोति(ई) झि०? गोयमा! नो पदीवे झियाइ जाव नो पदीवचंपए झिजोइ झियाइ॥१६ अगाररस्सणं भंते! झियायमाणस्स किं आगारे झि० कुड्डा झिकडणा झि० धारणा झि० बलहरणे झि० वंसा० मल्ला झि० वग्गा झियाइ छित्तरा झि छाणे झियाति जोति झि०?, गोयमा! नो अगारे झि० नो कुड्डा झिजाव नो छाणे झि जोति झियाति ॥सूत्रम् 335 / / 17 जीवेणं भंते! ओरालियसरीराओ कति किरिए?, गोयमा! सिय तिकिरिए सिय चउकि सिय पंचकि सिय अकि० // 18 नेरइएणं भंते! ओरालियसरीराओ कतिकिरिया(ए)?, गोयमा! सिय तिकिरिए सिय चउकि सिय पंचकि० / 19 असुरकुमारेणं भंते! ओ०सरीराओ कतिकि०? एवं चेव, एवं जाव वेमाणिए, नवरं मणुस्से जहा जीवे / 20 जीवे णं भंते! ओरालियसरीरेहितो कतिकि०?, गोयमा! सिय तिकि० जाव सिय अकि० / 21 नेरइएणं भंते! ओरालियसरीरेहितो कतिकि०?, एवं एसो जहा पढमो दंडओ तहा इमोवि अपरिसेसो भाणियव्वो जाव वेमा०, नवरं मणुस्से जहा जीवे / 22 जीवाणं भंते! ओ सरीराओ कतिकि०?, गोयमा! सिय तिकि० जाव सिय अकि०, 23 नेरइया णं भंते! ओसरीराओ कतिकि०?, एवं एसोवि जहा पढमो दंडओ तहा भाणियव्वो, जाव वे०, नवरंमणुस्सा जहा जीवा।२४ जीवाणं भंते! ओ०सरीरेहितोकतिकि०? गोयमा! तिकिरियाविचउकिरियावि पंचकिरियावि अकिरियावि, 25 नेरइया णं भंते! ओसरीरेहिंतो कइकि.?, गोयमा! तिकिरियावि चउकिरियावि पंचकिरियावि एवं जाव वे०, नवरं मणुस्सा जहा जीवा // 26 जीवेणं भंते! वेउब्वियसरीराओकतिकि.?, गोयमा! सिय तिकि० सिय चउकि. सिय अकि०, 27 नेरइएणं भंते! वेउब्वियसरीराओ कतिकि०?, गोयमा! सिय तिकि सिय चउकि० एवं जाव वे०, नवरं मणुस्से ८शतके उद्देशक:६ प्रासुकदाना|धिकारः। सूत्रम् 335 प्रदीप्तदीपगृहयोर्दीपगृहज्योतिरादि ज्वलनप्रश्नाः / सूत्रम् 336 एकादि जीवनारकादीनामौदारिकाद्याश्रयेण क्रियाप्रश्नाः।