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________________ श्रीभगवत्यङ्गं श्रीअभय वृत्तियुतम् भाग-१ // 37 // 1 शतके उद्देशक:१ सूत्रम् 9 नारकाणांस्थित्यु ऽऽहारादिप्रश्नाः / सूक्ष्मपरिणामाभ्यां ग्रहणायोग्यत्वात्, चउफासाइंपि आहारेंति जाव अट्ठफासाइंपि आहारेंति बहुप्रदेशिकताबादरपरिणामाभ्यां ग्रहणयोग्यत्वादिति, विहाणमग्गणं पडुच्च कक्खडाइंपि आहारेंति जाव लुक्खाइपि आहारेंति 19 / जाइंफासओ कक्खडाइंपि आहारेंति ताई किं एगगुणकक्खडाई आहारेंति जाव अनन्तगुणकक्खडाइंपि आहारेंति? गोयमा! एगगुणकक्खडाइंपि आहारेंति जाव अणंतगुणकक्खडाईपि आहारेंति 20, एवं अट्ठवि फासा भाणियव्वा जाव अणंतगुणलुक्खाइपि आहारेंति 27 / जाई भंते! अणंतगुणलुक्खाई आहारेंति ताई किं पुट्ठाई आहारेंति अपुट्ठाई आहारेंति?, गोयमा! पुट्ठाई आहारेंति नो अपुट्ठाई आहारेंति 28 पुट्ठाईति, आत्मप्रदेशस्पर्शवन्ति, तत्पुनरात्मप्रदेशस्पर्शनमवगाढक्षेत्राहिरपि भवत्यत उच्यते जाई भंते! पुट्ठाई आहारेति ताई किं ओगाढाई आहारेंति अणोगाढाई आहारेंति?, गोयमा! ओगाढाईनो अणोगाढाई, 'अवगाढानी'ति, आत्मप्रदेशैः सहकक्षेत्रावगाढानीत्यर्थः 29 / जाइं भंते! ओगाढाई आहारेंति ताई किं अणंतरोगाढाई आहारेंति परंपरोगाढाई आहारेंति?, गोयमा! अणंतरोगाढाई आहारेंति नो परंपरोगाढाई आहारेंति अनन्तरावगाढानी ति येषु प्रदेशेष्वात्माऽवगाढस्तेष्वेव यान्यवगाढानि तान्यनन्तरावगाढानि, अन्तराऽभावेनावगाढत्त्वात्, यानि च तदन्तरवर्तीनि तान्यवगाढसम्बन्धात्परम्परावगाढानीति 30 / जाई भंते! अणंतरोगाढाई आहारेंति ताई किं अणूई आहारेंति बायराई आहारेंति?, गोयमा! अणूइंपि आहारेंति बायराइंपि आहारेंति तत्राणुत्वं बादरत्वं चापेक्षिकं तेषामेवाहारयोग्यानां स्कन्धानां प्रदेशवृद्ध्या वृद्धानामवसेयम् 31 / जाई भंते! अणूइंपि आहारेंति बायराइंपि आहारेंति ताई किं उड्दपि आहारेंति? एवं अहेवि तिरियंपि? गोयमा! उड्डंपि आहारेंति एवं अहेवि तिरियपि 32 // जाई भंते! उड्डंपि आहारेंति अहेवि तिरियंपि आहारेंति ताई किं आई आहारेंति मज्झे आहारेंति पज्जवसाणे आहारेंति?, गोयमा! तिहावि, अयमर्थः, आभोगनिर्वतितस्याहारस्यान्तमौहूर्तिकस्यादिमध्यावसानेषु सर्वत्राहारयन्तीति 33 / जाई भंते! आई मज्झे अवसाणेवि आहारेंति ताई किं // 37 //
SR No.600443
Book TitleVyakhyapragnaptisutram Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDivyakirtivijay
PublisherShripalnagar Jain Shwetambar Murtipujak Derasar Trust
Publication Year2012
Total Pages578
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_bhagwati
File Size39 MB
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