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________________ श्रीभगवत्यङ्गं श्रीअभय वृत्तियुतम् भाग-१ // 549 // ७शतके उद्देशक: 10 कालोदायि प्रभृतिरधिकारः। सूत्रम् 307 अग्निकायोज्वालनविध्यापनयो| महाऽल्पकर्मता प्रश्नः। उज्जालेति एगे पुरिसे अग० निव्वावेति, एएसिणंभंते! दोण्हं पुरिसाणं कयरे 2 पुरिसे महाकम्मतराए चेव महाकिरिय० चेव महासव० चेव महावेयण चेव कयरे वा पुरिसे अप्पकम्मतराए चेव जाव अप्पवेयण चेव?,जे से पुरिसे अगणिकायं उज्जालेइ जे वा से पुरिसे अग० निव्वावेति?, कालोदाई! तत्थ णंजे से पुरिसे अग० उजा० सेणं पुरिसे महाकम्म० चेव जाव महावेयण चेव, तत्थ णं जे से पुरिसे अग० निव्वा० से णं पुरिसे अप्पकम्म० चेव जाव अप्पवेयण चेव / सेकेणटेणं भंते! एवं वु०- तत्थ णंजे से पुरिसे जाव अप्पवेयण चेव?, कालोदाई! तत्थ णं जे से पुरिसे अग० उजा० से णं पुरिसे बहुतरागंपुढविकार्य समा० बहु० आउक्कायं समा० अप्पतरायं तेऊकायं समा० बहु० वाऊकायं समा० बहु० वणस्सइकायं समा० बहु० तसकार्य समा०, तत्थ णं जे से पुरिसे अग० निव्वावेति से णं पुरिसे अप्पतराय पुढविक्कायं समा० अप्प० आउक्कायं समा० बहु०- तेऊकार्य समा० अप्प० वाउकार्य समा० अप्प० वणस्सइकायं समा० अप्प० तसकायं समा० से तेणटेणं कालोदाई! जाव अप्पवेयणतराए चेव // सूत्रम् 307 // 9 दो भंते! इत्यादि, अगणिकायं समारंभंति त्ति तेजः कायं समारभेते उपद्रवयतः, तत्रैक उज्ज्वालनेनान्यस्तु विध्यापनेन, तत्रोज्वालने बहुतरतेजसामुत्पादेऽप्यल्पतराणां विनाशोऽप्यस्ति तथैव दर्शनात्, अत उक्तं तत्थ णं एग यित्यादि, महाकम्मतराए चेव त्ति, अतिशयेन महत्कर्म ज्ञानावरणादिकं यस्य स तथा, चैवशब्दः समुच्चये, एवं महाकिरिय० चेव त्ति नवरं क्रिया दाहरूपा महासवतराए चेव त्ति बृहत्कर्मबन्धहेतुकः, महावेयण चेव त्ति महती वेदना जीवानां यस्मात्स तथा॥ 307 // अनन्तरमग्निवक्तव्यतोक्ता, अग्निश्च सचेतनः सन्नवभासते, एवमचित्ता अपि पुद्गलाः किमवभासन्ते? इति प्रश्नयन्नाह 10 अत्थिणं भंते! अचित्तावि पोग्गला ओभासंति उज्जोवेंति तवेंति पभासेंति?, हंता अत्थि / 11 कयरेणं भंते! अचित्तावि पो० ओभासंति जावप०?, कालोदाई! कुद्धस्स अण० तेयलेस्सा निसट्ठा समाणी दूरं गंता दूरं निपतइ देसं गंता देसं नि० जहिं जहिं // 549 //
SR No.600443
Book TitleVyakhyapragnaptisutram Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDivyakirtivijay
PublisherShripalnagar Jain Shwetambar Murtipujak Derasar Trust
Publication Year2012
Total Pages578
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_bhagwati
File Size39 MB
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