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________________ श्रीभगवत्यङ्गं श्रीअभय वृत्तियुतम् भाग-१ // 539 // 7 शतके उद्देशकः 9 असंवृतानगाराधिकारः। सूत्रम् 303 युद्धे हतानां स्वर्गगमन प्रश्नः। हयगयरह जाव संपरिवुडे महया भडचडगर जाव परिक्खित्ते जे० रहमु० संगामे ते. उवा० रत्ता रहमु(मूसलंसं० ओयाओ, तएणं से वरुणे णागणत्तुए रहमु(मू)सलं सं० ओयाए समाणे अयमेयारूवं अभिग्गहं अभिगिण्हइ-कप्पति मे रहमु० सं० संगामेमाणस्स जे पुट्विं पहणइ से पडिहणित्तए अवसेसे नो कप्पतीति, अयमेयारूवं अभिग्गहं अभिगेण्हइ रत्ता रहमु० सं० संगामेति, तए णं तस्स वरुणस्स नागन रहमुसलंसं संगामेमाणस्स एगे पुरिसे सरिसए सरिसत्तए (सरित्तए) सरिसव्वए (सरिव्वए) सरिसभंडमत्तोवगरणे रहेणं पडिरहं हव्वमागए, तए णं से पुरिसे वरुणं णाग एवं व०- पहण भो वरुणा! णागणत्तुया! प० 2, तए णं से वरुणे णागतं पुरिसं एवं व० नोखलु मे कप्पइ देवाणु०! पुव्विं अहयस्स पहणित्तए, तुमंचेवणं पुव्वं पहणाहि, तएणं से पुरिसे वरुणे णागणत्तुएणं एवं वुत्ते समाणे आसुरुत्ते जाव मिसिमिसेमाणे धणुंपरामुसइ रत्ता उसुंपरामुसइ उसुंपरामुसित्ता ठाणं ठाति 2 आययकन्नाययं उसुं करेइ आययक. उसुं करेत्ता वरुणं णाग० गाढप्पहारी करेइ, तए णं से वरुणे णागनत्तुए तेणं पुरिसेणं गाढप्पहारीकए समाणे आसुरुत्ते जाव मिसिमि० धणुं परामुसइ ध० परा०त्ता उसुं परामुसइ उसुं परा०त्ता आययक० उसुं क० आययक० रत्ता तं पुरिसं एगाहचं कूडाहमचं जीवियाओ ववरोवेइ, तए णं से वरुणे णाग० तेणं पुरिसेणं गाढप्पहारीकए समाणे अत्थामे अबले अवीरिए अपुरिसक्कारपरक्कमे अधारणिजमितिकड तुरए निगिण्हइ तु० नित्ता रहं परावत्तेइ रत्ता रहमुसलाओ संगामाओ पडिनिक्खमति रत्ता एगंतमंतं अवक्कमइ ए० अ०त्ता तुरए निगिण्हइ रत्ता रहं ठवेइ 2 ता रहाओ पच्चोरुहइ 2 ता रहाओ तुरए मोएइ तु० मोएत्ता तु. विसजेइ रत्ता (ग्रन्थ 4000) 2 दब्भसंथारगं संथरइ रत्ता (पुरच्छाभिमुहे दुरूहइ दब्भसं० 2) पुरच्छाभिमुहे संपलियंकनिसन्ने करयल जाव कटु एवं व०-नमोत्थु णं अरिहंताणं जाव संपत्ताणं नमोऽत्थु णं समणस्स भ० म० आइगरस्स जाव संपाविउकामस्स मम धम्मायरियस्स धम्मोवदेसगस्स वंदामिणं भगवन्तं तत्थगयं इहगए पासउ मे से भगवंतत्थगए जाववं नम रत्ता एवंव०-पुविपि // 539
SR No.600443
Book TitleVyakhyapragnaptisutram Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDivyakirtivijay
PublisherShripalnagar Jain Shwetambar Murtipujak Derasar Trust
Publication Year2012
Total Pages578
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_bhagwati
File Size39 MB
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