________________ श्रीभगवत्यङ्ग श्रीअभय वृत्तियुतम् भाग-१ // 521 // तस्स णं ईरिया० कि० क० णो संप० कि० कज्जइत्ति ।से केणटेणं भंते! एवं वु०-संवुडस्स णं जाव संप० कि० क०?, गोयमा! जस्स णं कोहमाणमायालोभा वोच्छिन्ना भवंति तस्स णं ईरिया० कि० क०, तहेव जाव उस्सुत्तं रीयमाणस्स संप० कि० क०, से णं अहासुत्तमेव रीयइ, से तेणटेणं गोयमा! जाव नो संप० कि० क०॥सूत्रम् 289 / / २रूवी भंते! कामा अरूवी कामा?, गोयमा! रूवी कामा समणाउसो! नो अरूवी कामा / 3 सचित्ता भंते! कामा अचित्ता कामा?, गोयमा! स.विकामा अ०वि कामा। 4 जीवा भंते! कामा अजीवा कामा?, गोयमा! जीवावि कामा अजीवावि कामा। 5 जीवाणं भंते! कामा अजीवाणं कामा?, गोयमा! जीवाणं कामा नो अजीवाणं कामा, 6 कतिविहा णं भंते! कामा प०?, गोयमा! दुविहा कामा प०, तंजहा-सद्दा यरूवा य, 7 रूवी भंते! भोगा अरूवी भोगा?,गोयमा! रूवी (रुविं भं) भोगानो अरूवी (अरुविं भं) भोगा, ८सचित्ता भंते! भोगा अचित्ता भोगा?, गोयमा! स.वि भोगा अविभोगा, ९जीवाणं भंते! भोगा? पुच्छा, गोयमा! जीवावि भोगा अजीवावि भोगा, 10 जीवाणं भंते! भोगा अजीवाणं भोगा?, गोयमा! जीवाणं भोगा नो अजीवाणं भोगा, 11 कतिःणं भंते! भोगा प०?, गोयमा! तिविहा भोगा प० तंजहा- गंधा रसा फासा / 12 कतिविहाणं भंते! कामभोगा प.?, गोयमा! पंचविहा कामभोगा प०, तंजहा-सद्दा रूवा गंधा रसा फासा। 13 जीवाणं भंते! किं कामी भोगी?, गोयमा! जीवा कामीवि भोगीवि / से केणटेणं भंते! एवं वु० जीवा कामीवि भोगीवि?, गोयमा! सोइंचक्खिंदियाइं पडुच्च कामी घाणिं जिभिंफासिंदियाइंप० भोगी, से तेणटेणं गोयमा! जाव भोगीवि / 14 नेरइया णं भंते! किं कामी भोगी?, एवं चेव एवं जाव थणियकुमारा / 15 पुढविकाइयाणं पुच्छा, गोयमा! पुढविकाइया(ईआ) नो कामी भोगी, सेकेणटेणं जाव भोगी?, गोयमा! फासिंदियं पडुच्चसे तेणटेणंजाव भोगी, एवं जाव वणस्स०, बे० एवं चेव नवरंजिभिंफासिंदियाइंप० (ते) भोगी, तेइंदियाविएवं ७शतके उद्देशकः७ अनगाराधिकारः। सूत्रम् 289 उपयुक्तानगारस्य क्रिया तद्धेतु प्रश्नाः / सूत्रम् 290 कामभोगयो रूपीजीव त्वादि नैरयिकादिषु प्रश्नाः / अल्पबहुत्व प्रश्नाः / // 521 //