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________________ श्रीभगवत्यई श्रीअभय वृत्तियुतम् भाग-१ // 457 // एतेसिणं अट्ठण्हं कण्हराईणं अट्ठसु उवासंतरेसु अट्ठ लोगंतियविमाणा प०, तंजहा-१ अच्ची 2 अच्चिमाली 3 वइरोयणे 4 पभंकरे 5 चंदाभे 6 सूराभे 7 सुक्काभे 8 सुपतिट्ठाभे मज्झे 9 रिट्ठाभे / 36 कहिणं भंते! अच्चिविमाणे प०?, गोयमा! उत्तरपुरच्छिमेणं, 37 कहिणं भंते! अच्चिमालीविमाणे प०?, गोयमा! पुरच्छिमेणं, एवं परिवाडीए नेयव्वं 38 जाव कहिणंभंते! रिट्टे वि०प०?, गोयमा! बहुमज्झदेसभागे। एएसुणं अट्ठसु लोगंतियविमाणेसु अट्ठविहा लोगंतियदेवा परिवसंति, तंजहा-सारस्सयमाइच्चा वण्ही वरुणाय गद्दतोया य / तुसिया अव्वाबाहा अग्गिच्चा चेव रिट्ठाय // 1 // 39 कहिणं भंते! सारस्सया देवा परि०?,गोयमा! अञ्चिवि० परि०, 40 कहि णं भंते! आदिच्चा देवा परि०?, गोयमा! अच्चिमालिवि०, एवं नेयव्वं जहाणुपुव्वीए 41 जाव कहि णं भंते! रिट्ठा देवा परि०?, गोयमा! रिट्ठवि०॥४२ सारस्सयमाइच्चाणं भंते! देवाणं कति देवा कति देवसया प०?, गोयमा! सत्त देवा सत्त देवसया परिवारोप०, वण्हीवरुणाणं देवाणंचउद्दस देवा चउद्दस देवसहस्सा परिवारोप०, गद्दतोयतुसियाणं देवाणं सत्त देवा सत्त देवसहस्सा प०, अवसेसाणं नव देवा नव देवसया प०-'पढमजुगलम्मि सत्त उसयाणि बीयंमि चोइससहस्सा / तइए सत्तसहस्सा नव चेव सयाणि सेसेसु॥१॥' 43 लोगंतिगविमाणा णं भंते! किंपतिट्ठिया प०?, गोयमा! वाउपइट्ठिया तदुभयपति० प०, एवं नेयव्वं // 'विमाणाणं पतिट्ठाणं बाहल्लुच्चत्तमेव संठाणं।' बंभलोयवत्तव्वया नेयव्वा (जहा जीवाभिगमे देवुद्देसए) जाव हंता गोयमा! असतिं अदुवा अणंतखुत्तो।नो चेवणं देवित्ताए। 44 लोगंतियविमाणेसुणं भंते! के० कालं ठिती प०?, गोयमा! अट्ठ सागरोवमाइंठिती प० / 45 लोगंतियविमाणेहितोणं भंते! के० अबाहाए लोगते प०?, गोयमा! असंखेनाईजोयणसह अबाहाए लोगंते प० / सेवं भंते! २॥६-५॥सूत्रम् 243 // अट्ठसु उवासंतरेसुत्ति द्वयोरन्तरमवकाशान्तरं तत्राभ्यन्तरोत्तरपूर्वयोरेकम्, पूर्वयोर्द्वितीयम्, अभ्यन्तरपूर्वदक्षिणयोस्तृतीयम्, 6 शतके उद्देशक: 5 तमस्कायाधिकारः। सूत्रम् 243 अचिरादिनवलोकान्तिकविमान तत्स्थान तद्वासीदेवतत्परिवार तत्कालस्थिति किंप्रतिष्ठित लोकान्तान्तरादि प्रश्नाः। // 457 //
SR No.600443
Book TitleVyakhyapragnaptisutram Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDivyakirtivijay
PublisherShripalnagar Jain Shwetambar Murtipujak Derasar Trust
Publication Year2012
Total Pages578
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_bhagwati
File Size39 MB
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