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________________ श्रीभगवत्यङ्ग श्रीअभय वृत्तियुतम् भाग-१ // 450 // इति॥ उक्तार्थसङ्ग्रहगाथा पच्चक्खाण मित्यादि, प्रत्याख्यानमित्येतदर्थ एको दण्डकः, एवमन्ये त्रयः॥ 240 // षष्ठे शते चतुर्थः॥६-४॥ ६शतके उद्देशक:५ तमस्कायाधिकारः। सूत्रम् 241 तमस्काय समुत्थान संस्थानविष्कम्भ किंमहालयादि तमस्काये ग्रामसूर्यादि ॥षष्ठशतके पञ्चमोद्देशकः॥ अनन्तरोद्देशके सप्रदेशा जीवा उक्ताः, अथ सप्रदेशमेव तमस्कायादिकं प्रतिपादयितुं पञ्चमोद्देशकमाह 1 किमियं भंते! तमुक्काएत्ति पवुच्चइ किं पुढवी तमुक्काएत्ति पवु० आऊ तमुक्काएत्ति पवु.? गोयमा! नो पु० तमुक्काएत्ति पवु० आऊ तमुक्काएत्ति पवु०।२ सेकेणद्वेणं०?, गोयमा! पुढविकाएणं अत्थेगतिए सुभे देसं पकासेति अत्थेगइए देसं नो पकासेइ, से तेणट्टेणं 3 तमुक्काए णं भंते! कहिं समुट्ठिए कहिं संनिट्ठिए?, गोयमा! जंबुद्दीवस्स 2 बहिया तिरियमसंखेल्जे दीवसमुद्दे वीईवतित्ता अरुणवरस्स दीवस्स बाहिरिल्लाओवेतियन्ताओ अरुणोदयं समुदंबायालीसंजोयणसहस्साणि ओगाहित्ता उवरिल्लाओजलंताओ एकपदेसियाए सेढीए इत्थ णं तमुक्काए समुट्ठिए, सत्तरस एक्कवीसे जोयणसए उर्दु उप्पइत्ता तओ पच्छा तिरियं पवित्थरमाणे 2 सोहम्मीसाणसणंकुमारमाहिदे चत्तारिवि कप्पे आवरित्ताणं उईपि य णं जाव बंभलोगे कप्पे रिट्ठविमाणपत्थडं संपत्ते एत्थ णं तमुक्काएणं संनिट्ठिए॥ 4 तमुक्काएणं भंते! किंसंठिए प०?, गोयमा! अहे मल्लगमूलसं० उप्पिं कुक्कुडगपंजरगसं०प०॥५ तमुक्काए णं भंते! केवतियं विक्खंभेणं के० परिक्खे०प०?, गोयमा! दुविहे प०, तंजहा-संखेजवित्थडे य असंखेजवि० य, तत्थ णं जे से संखेजवि० सेणं संखेज्जाइंजोयणसहस्साई विक्खंभेणं असंखेज्जाइंजोयणसह परिक्खे०प०, तत्थ णंजे से असंखिजवि.सेणं असंखेजाईजोयणसह विक्खंभेणं असंखेजाईजोयणसह परिक्खे०प०।६ तमुक्काए णं भंते! के महालए प०?, गोयमा! अयं तस्यवर्णणामादि नामपरि प्रश्नाः / // 450
SR No.600443
Book TitleVyakhyapragnaptisutram Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDivyakirtivijay
PublisherShripalnagar Jain Shwetambar Murtipujak Derasar Trust
Publication Year2012
Total Pages578
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_bhagwati
File Size39 MB
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