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________________ श्रीभगवत्यङ्गं श्रीअभय वृत्तियुतम् भाग-१ // 338 // 4 शतके उद्देशक: 1-4 सूत्रम् 172 ईशानलोकपालानां विमाणाणि तेषां स्थान स्वरूपादि प्रश्ना : / ॥अथ चतुर्थशतकम्॥ ॥चतुर्थशतके प्रथमद्वितीयतृतीयचतुर्था उद्देशकाः॥ तृतीयशते प्रायेण देवाधिकार उक्तोऽतस्तदधिकारवदेव चतुर्थं शतम्, तस्य पुनरुद्देशकार्थाधिकारसङ्गहाय गाथा, चत्तारि विमाणेहिं चत्तारिय होंति रायहाणीहिं / नेरइए लेस्साहि य दस उद्देसा चउत्थसए॥१॥ १रायगिहे नगरे जाव एवं व०- ईसाणस्स णं भंते! दे०२ कति लोगपाला पण्णत्ता?, गोयमा! चत्तारि लोगपाला प०, तंजहासोमे जमे वेसमणे वरुणे। 2 एएसि णं भंते! लोगपालाणं कति विमाणा प०?, गोयमा! चत्तारि विमाणा प०, तंजहा- सुमणे सव्वओभद्दे वग्गूसुवग्गू। 3 कहिणं भंते! ईसाणस्स 3 सोमस्स महारन्नो सुमणे नामं महाविमाणे प०?, गोयमा! जंबूहीवे 2 मंदरस्स पव्वयस्स उत्तरेणं इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए जाव ईसाणे णामं कप्पे प०, तत्थ णं जावपंच वडेंसया प०, तंजहा- अंकवडेंसए फलिहवडिंसए रयणवडेंसए जायरूववडिंसए मझे य तत्थ ईसाणवडेंसए, तस्स णं ईसाणवडेंसयस्स महाविमाणस्स पुरच्छिमेणं तिरियमसंखेज्जाइंजोयणसहस्साइंवीतिवतित्ता एत्थणं ईसाणस्स दे०२ सोमस्स महा० सुमणे नामं महाविमाणे प० अद्धतेरसजोयण जहा सक्कस्स वत्तव्वया ततियसए तहा ईसाणस्सवि जाव अच्चणिया समत्ता। चउण्हवि लोगपालाणं विमाणे 2 उद्देसओ, चउसु विमाणेसु चत्तारि उद्देसा अपरिसेसा, नवरं ठितिए नाणत्तं- आदिदुय तिभागूणा पलिया १धणयस्स होंति दो चेव / दोसतिभागा वरुणे पलियमहावच्चदेवाणं॥१॥सूत्रम् १७२॥चउत्थे सए पढमबिइयतइयचउत्था उद्देसा समत्ता // 4-4 // 1 चत्तारीत्यादि व्यक्तार्था 3 अच्चणिय त्ति सिद्धायतने जिनप्रतिमाद्यर्चनमभिनवोत्पन्नस्य सोमाऽख्यलोकपालस्येति // 172 // चतुर्थशते चत्वारः // 4-(1-4) // // 338 //
SR No.600443
Book TitleVyakhyapragnaptisutram Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDivyakirtivijay
PublisherShripalnagar Jain Shwetambar Murtipujak Derasar Trust
Publication Year2012
Total Pages578
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_bhagwati
File Size39 MB
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