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________________ श्रीभगवत्यङ्गं श्रीअभय वृत्तियुतम् भाग-१ // 317 // असिचम्मपायं गहाय गच्छेजा एवामेव भावि० अणगारेवि असिचम्मपायहत्थकिच्चगएणं अप्पाणेणं उर्ल्ड वेहासं उप्पइज्जा?, हंता उप्पइज्जा, 5 अण० णं भंते! भावि० केवतियाई पभू असिचम्मपायहत्थकिच्चगयाई रूवाई विउव्वि०?, गोयमा! से जहानामएजुवतिं जुवाणे हत्थेणं हत्थे गेण्हेज्जातं चेव जाव विउव्विंसुवा 3 / 6 से जहानामए केइ पुरिसे एगओपडागं काउंगच्छेजा, एवामेव अणगारेवि भावि० एगओपडागहत्थकिच्चगएणं अप्पाणेणं उर्ल्ड वेहासं उप्पएज्जा? हंता गोयमा! उप्प०, 7 अण० णं भंते! भावि० केवतियाई पभू एगओपडागाहत्थकिच्चगयाई रूवाई विकुब्वि०? एवं चेव जाव विकुव्विंसु वा 3 / एवं दुहओपडागंपि। 8 से जहानामए- केइ पुरिसे एगओजन्नोवइतं काउंगच्छेजा, एवामेव अण० भा० एगओजण्णोवइयकिच्चगएणं अप्पाणेणं उड़े वेहासं उप्पएज्जा? हंता! उ०, 9 अण० णं भंते! भावि० केव० पभूएगओजण्णोवइयकिच्चगयाई रूवाई विकु०? तं चेव जाव विकुव्विंसुवा 3, एवं दुहओजण्णोवइयंपि।१० से जहानामए- केइ पुरिसे एगओपल्हत्थियं काउंचिडेजा, एवामेव अणगारेवि भावियप्पा? एवं चेव जाव विकुव्विंसु वा 3, एवं दुहओपल्हत्थियंपि। 11 से जहानामए केइ पुरिसे एगओपलियंकं काउंचिट्ठज्जा ? तंचेव जाव विकुव्विंसु वा 3 एवं दुहओपलियंकं पि। 12 अण० णं भंते! भावि० बाहि० पो० अपरियाइत्ता पभूएगं महं आसरूवंवा हत्थिरूवं वासीहरूवं वा वग्घवगदीवियअच्छतरच्छपरासररूवंवा अभिमुंजित्तए?, णो तिणढेसमढे, 13 अणगारेणं(?) एवं बाहिरए पो० परियादित्ता पभू / 14 अणणं भंते! भा० एगं महं आसरूवंवा अभिमुंजित्ता अणेगाई जोयणाइंगमित्तए? हता! पभू, 15 से भंते! किं आयड्डीए गच्छति परिड्डीए ग.?, गोयमा! आइडीए ग० नो परिड्डीए, ग० एवं आयकम्मुणा नो परकम्मुणा आयप्पओगेणं नो परप्पओगेणं उस्सिओदयं वाग० पयोदगंवा ग०।१६ सेणं भंते! किं अणगारे आसे?, गोयमा! अण० णं से नो खलु से आसे, एवं जाव परासररूवं वा। 17 से भंते! किंमायी विकुव्वति अमायी विकु०?, गोयमा! मायी विकु० नो अमायी विकु०, 18 माईणंभंते! 3 शतके उद्देशक:५ अनगास्यस्त्रीविकुर्वणाधिकारः। सूत्रम् 161 साधो: स्व्यादिअश्वादि| रूपविकुर्वणोोत्पतनादिशक्तिमात्रं माय्यमाय्यादि आभियोगिकोपपातादि प्रश्नाः / // 317 //
SR No.600443
Book TitleVyakhyapragnaptisutram Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDivyakirtivijay
PublisherShripalnagar Jain Shwetambar Murtipujak Derasar Trust
Publication Year2012
Total Pages578
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_bhagwati
File Size39 MB
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