________________ श्रीअभय. वृत्तियुतम् भाग-१ // 311 // प्रवालं 6 पत्रं 7 पुष्पं 8 फलं 9 बीजं 10 चेति दश पदानि, एषां च पञ्चचत्वारिंशविकसंयोगाः, एतावन्त्येवेह चतुर्भङ्गीसूत्राण्यध्येयानीति॥एतदेव दर्शयितुमाह, एवं कंदेणवी त्यादि॥१५६॥देवं विउव्वियसमुग्घाएणं समोहयं ति प्रागुक्तमतो वैक्रियाधिकारादिदमाह ६पभूणं भंते! वाउकाए एगं महं इत्थिरूवंवा पुरिसरूवंवा हत्थिरूवं वा जाणरूवं वा एवं जुग्गगिल्लिथिल्लिसीयसंदमाणियरूवं वा विउवित्तए?, गोयमा! णो तिणढे समढे, वाउक्काएणं विकुव्वमाणे एगं महं पडागासंठियं रूवं विकुव्वइ। 7 पभू णं भंते! वाउकाए एगं महं प०सं० रूवं विउव्वित्ता अणेगाई जोयणाई गमित्तए ?, हंता! पभू / 8 से भंते! किं आयडीए ग० परिडीए ग०?, गोयमा! आय० ग० णो परि० ग. जहा आय० एवं चेव आयकम्मुणावि आयप्पओगेणवि भाणियव्वं / 9 से भंते! किं ऊसिओदगं ग० पयतोदगंग०?, गोयमा! ऊ पि ग०प०पिग०, 10 से भंते! किं एगओपडागंग० दुहुओपडागंग०?, गोयमा! एगओ प० ग० नो दुहओप० ग०,११ से णं भंते! किंवाउकाए पडागा?, गोयमा! वाउकाए णं से नोखलु सा पडागा। सूत्रम् 157 // 12 पभूणं भंते! बलाहगे एगं महं इत्थिरूवं वा जाव संदमाणियरूवंवा परिणामेत्तए?, हंता पभू / १३पभूणंभंते! बलाहए एगं महं इत्थिरूवं परिणामेत्ता अणेगाई जोयणाई गमित्तए?, हंता पभू, 14 से भंते! किं आयडीए ग० परिहीए ग.?, गोयमा! नो आयडीएग०, परिड्डीए ग० एवं नो आयकम्मुणा परकम्मुणा नो आयपओगेणं परप्पओगेणं ऊसितोदयं वा ग० पयोदयं वा ग०, 15 से भंते! किं बलाहए इत्थी?, गोयमा! बलाहएणं से णो खलु सा इत्थी, एवं पुरिसेण आसे हत्थी॥१६ पभूणं भंते! बलाहए एगं महं जाणरूवं परिणामेत्ता अणेगाइंजोयणाइंगमित्तए जहा इत्थिरूवंतहा भाणियव्वं, णवरं एगओचक्कवालंपि दुहओचक्कवालंपि ग०(त्ति) भाणियव्वं, जुग्गगिल्लिथिल्लिसीयासंदमाणियाणं तहेव॥सूत्रम् 158 // ३शतके उद्देशक:४ सूत्रम् 157 वायुकायस्यस्व्यादिरूपविकुर्वणगमनसामर्थ्यप्रकारादि प्रश्नाः / सूत्रम् 158 बलाहकस्यस्व्यादिरूपपरिणमनगमनसामर्थ्यादि |प्रश्नाः / // 311 //