________________ श्रीभगवत्यङ्गं श्रीअभय वृत्तियुतम् भाग-१ // 280 // सेवा वचनम्, अभियोगपूर्वक आदेशो निर्देशः, प्रश्निते कार्ये नियतार्थमुत्तरंतत एषांद्वन्द्वस्ततस्तत्र // 137 // ईशानेन्द्रवक्तव्यताप्रस्तावात्तद्वक्तव्यतासंबद्धमेवोद्देशकसमाप्तिं यावत् सूत्रवृन्दमाह 20 सक्कस्स णं भंते! देविंदस्स र विमाणेहिंतो ईसाणस्स देविंदस्स 2 विमाणा ईसिं उच्चयरा चेव ईसिं उन्नयतरा चेव ईसाणस्स वा देविंदस्स 2 विमाणेहितो सक्कस्स देविंदस्स 2 विमाणा णीययरा चेव ईसिं निन्नयरा चेव?, हंता! गोयमा! सक्कस्स तं चेव सव्वं नेयव्वं / 21 सेकेणटेणं?, गोयमा! से जहानामए-करयले सिया देसे उच्चे देसे उन्नए देसेणीए देसे निन्ने, से तेणद्वेणं गोयमा! सक्कस्स देविंदस्स 2 जावईसिं निण्णतरा चेव / / सूत्रम् 138 // 22 पभूणं भंते! सक्के देविंदे 2 ईसाणस्स देविंदस्स देवरन्नो अंतियं पाउब्भवित्तए?, हंता पभू, 23 से णं भंते! किं आढायमाणे पभूअणाढायमाणे पभू?, गोयमा! आढा० पभूनो अणा० पभू, 24 पभूणं भंते! ईसाणे देविंदे दे सक्कस्स 3 अंतियं पाउन्भवित्तए?, हंता पभू, 25 से णं भंते! किं आढा० पभू अणा० पभू?, गोयमा! आढा०वि पभू अणाढायमाणेवि पभू / 26 पभूणं भंते! सक्के देविंदे देवराया ईसाणं देविंदं देवरायं सपक्खिं सपडिदिसिं समभिलोएत्तए जहा पादुब्भवणा तहा दोवि आलावगा नेयव्वा / 27 पभूणं भंते! सक्के देविंदे देवराया ईसाणेणं देविंदेणं देवरन्ना सद्धिंआलावंवा संलावंवा करेत्तए?, हंता! पभूजहा पादुब्भवणा / 28 अस्थिणं भंते! तेसिं सक्कीसाणाणं देविंदाणं देवराईणं किच्चाई करणिज्जाइंसमुप्पजंति?, हंता! अत्थि, 29 से कहमिदाणिं पकरेंति?, गोयमा! ताहे चेवणं से सक्के 3 ईसाणस्स दे०२ अंतियं पाउन्भवति, ईसाणेणं देविंदे 2 सक्कस्स 3 अंतियं पाउन्भ०, इति भो! सक्का देविंदा दे० 2 दाहिणडलोगाहिवइ, इति भो! ईसाणा देविंदा 2 उत्तरड्डलोगाहिवइ, इति भो! इति भो त्ति ते अन्नमन्नस्स किच्चाई करणिज्जाई पच्चणुब्भवमाणा विहरंति // सूत्रम् 139 // 3 शतके उद्देशकः१ कीदृशी चमरविकुर्वणा शक्ति : / सूत्रम् 138 सौधर्मेशानयोर्विमानोचनीचत्व | प्रश्नाः / सूत्रम् 139 तयोर्मिलापादि प्रश्नाः।