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________________ श्रीभगवत्यहा श्रीअभय. वृत्तियुतम् भाग-१ // 213 // काष्ठशिलापि शिला स्यादतस्तद्व्यवच्छेदाय पृथिवीग्रहणम्, संलेहणाजूसणाजूसियस्स त्ति संलिख्यतेकृशीक्रियतेऽनयेति संलेखना तपस्तस्या जोषणा सेवा तया जुष्टः सेवितो जूषितो वा क्षपितो यः स तथा तस्य, भत्तपाणपडियाइक्खियस्स त्ति प्रत्याख्यातभक्तपानस्य, कालं ति मरणम्, तिकट्टि तिकृत्वेदं विषयीकृत्य // 94 // १८(अपूर्णम्) तएणं से खंदए अण० समणेणं भ० महा० अब्भणुण्णाए समाणे हट्ठतुट्ठ जाव हयहियए उठाए उढेइ रत्ता समणं भ० म० तिक्खुत्तो आयाहिणं पयाहिणं करेइ रत्ता जाव नमंसित्ता सयमेव पंच महव्वयाइं आरुहेइ रत्ता समणेय समणीओ य खामेइ रत्ता तहारूवेहिं थेरेहिं कडाईहिं सद्धिं विपुलं पव्वयं सणियं 2 दुरूहेइ मेहघणसन्निगासं देवसन्निवायं पुढविसिलावट्टयं पडिलेहेइ रत्ता उच्चारपासवणभूमिं पडि० 2 ता दब्भसंथारयं संथरइ रत्ता पुरत्थाभिमुहे संपलियंकनिसन्ने करयलपरिग्गहियं दसनहं सिरसावत्तं मत्थए अंजलिं कट्ठ एवं व०- नमोऽत्थु णं अरहताणं भग० जाव संपत्ताणं, नमोऽत्थु णं समणस्स भ० म० जाव संपाविउकामस्स, वंदामिणं भ० तत्थगयं इहगते, पासउ मे भयवं तत्थगए इहगयं तिकट्ठ वं० नमं० २त्ता एवं व०- पुट्विंपि मए समणस्स भ० म० अंतिए सव्वे पाणाइवाए पच्चक्खाए जावज्जीवाए जाव मिच्छादसणसल्ले पच्च० जावजी० इयाणिपि यणंसमणस्स भ० म० अंतिए सव्वं पाणाइवायं पञ्चक्खामि जावजी० जाव मिच्छादसणसल्लं पच्च०, एवं सव्वं अ० पाणं खा० सा० चउव्विहंपि आहारं पच्च० जावजी०, जंपि य इमं सरीरं इ8 कंतं पियं जाव फुसंतु त्तिकट्टएयंपिणं चरिमेहिं उस्सासनीसासेहिं वोसिरामि त्तिकटु संलेहणाजूसणाजूसिए भत्तपाणपडियाइक्खिए पाओवगए कालं अणवकंखमाणे विहरति / तएणं से खंदए अण० समणस्स भ० म० तहारूवाणं थेराणं अंतिए सामाइयमादियाई इक्कारस अंगाई अहिज्जित्ता बहुपडिपुण्णाइंदुवालसवासाइंसामन्नपरियागंपाउणित्ता मासियाए संलेहणाए अत्ताणं झूसित्ता सर्टि भत्ताई अणसणाए छेदेत्ता आलोइयपडिक्वंते समाहिपत्ते आणुपुल्वीए कालगए। 2 शतके | उद्देशकः१ उच्छ्वासः स्कन्दकश्च सूत्रम् 95-96 स्कन्दकचरितम्। विपुलपर्वताऽऽरोहणदर्भसंस्तारकपादोपगमनप्रत्याख्यानसमाधिप्राप्त कालगतः। अच्युतकल्पोपपातश्च्युत्वामहाविदेहे सेत्स्यति। // 213 //
SR No.600443
Book TitleVyakhyapragnaptisutram Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDivyakirtivijay
PublisherShripalnagar Jain Shwetambar Murtipujak Derasar Trust
Publication Year2012
Total Pages578
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_bhagwati
File Size39 MB
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