________________ श्रीभगवत्यङ्गं श्रीअभय वृत्तियुतम् भाग-१ // 174 // पर०पोग्गले भवति एगयओवि दिवड्डे पर०पो० भवति, तिहा कन्जमाणा तिण्णि पर०पो० भवंति, एवं जाव चत्तारि पंचपर०पो० एगयओ साहणंति, एगयओ साहणित्ता दुक्खत्ताए कजंति, दुक्खेवि यणं से सासए सया समियं उवचिजइय अवचिजइ य पुव्विं भासा भासा, भासिज्जमाणी भासा अभासा भासासमयवीतिकंतं चणं भासिया भासा, जासा पुग्विं भासा भासा, भासिज्जमाणी भासा अभासा भासासमयवीतिकंतं च णं भासिया भासा सा किंभासओ भासा अभासओ भासा?, अभासओणंसा भासा नो खलु सा भासओ भासा / पुव्विं किरिया दुक्खा कज्जमाणी किरिया अदुक्खा किरियासमयवीतिकंतंचणं कडा किरिया दुक्खा, जा सा पुट्विंकिरिया दुक्खा कजमाणी किरिया अदुक्खा किरियासमयवीइक्वंतं च णं कडा किरिया दुक्खा सा किं करणओ दुक्खा अकरणओ दुक्खा?, अक० णं सा दुक्खा णो खलु सा क० दुक्खा, सेवं वत्तव्वं सिया- अकिच्चं दुक्खं अफुसं दुक्खं अकज्जमाणकडं दुक्खं अकट्ठ 2 पाणभूयजीवसत्ता वेदणं वेदेंतीति वत्तव्वं सिया॥ से कहमेयं भंते! एवं?, गोयमा! जण्णं ते अण्णउत्थिया एवमातिक्खंति जाव वेदणं वेदेंतीति, वत्तव्वं सिया, जे ते एवमाहंसु मिच्छा ते एवमाहंसु, अहं पुण गोयमा! एवमातिक्खामि, एवं खलु चलमाणे चलिए जाव निजरिजमाणे निजिण्णे, दो पर०पो० एगयओसाहणंति, कम्हा? दो परपो० एगयओ साहण्णंति ?, दोण्हं पर०पोग्गलाणं अत्थि सिणेहकाए, तम्हा दो पर०पो० एगयओ सा०, ते भिजमाणा दुहा कजंति, दुहा कज्जमाणे एगयओ पर०पोग्गले एगयओ प०पोग्गले भवंति, तिण्णि परमा० एगयओ साह०, कम्हा? तिन्नि पर०पोग्गले एग० सा०?, तिण्हं पर०पोग्गलाणं अत्थि सिणेहकाए, तम्हा तिण्णि पर०पो० एगयओसाहणंति, ते भिज्जमाणा दुहावि तिहावि कजंति, दुहा कज्जमाणा एगयओ पर०पोग्गले एगयओ दुपदेसिए खंधे भवति, तिहा कज्जमाणा तिण्णि पर०पो० भवंति, एवं जाव चत्तारिपंचपरमाणुपो० एगयओसाहणित्तारखंधत्ताएकजंति, खंधेवियणं से असासए सया समियं उवचिजइय अवचिजइय। १शतके उद्देशक: 10 सूत्रम् 80 परमाणुस्नेहभाषाकर्मक्रियाऽऽदिषु अन्यतीर्थिकवक्तव्यता प्रश्ना:। भाषाभाषेत्यादि अकरणत:क्रियादि प्रश्नाः / // 174 //