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________________ श्रीभगवत्यङ्ग श्रीअभय. वृत्तियुतम् भाग-१ 1 शतके उद्देशकः८ सूत्रम् 65-69 // 156 // मृगवधादौ क्रिया प्रश्नाः / आगम्म सयपाणिणा असिणा सीसं छिंदेज्जा से य उसुंताए चेव पुव्वायामणयाए तं विंधेजा से णं भंते! पुरिसे किं मियवेरेणं पुढे पुरिसवेरेणं पुढे?, गोयमा! जे मियं मारेइ से मियवेरेणं पुढे, जे पुरिसं मारेइ से पुरिसवेरेणं पुढे, से केणटेणं भंते! एवं वुच्चइ जाव से पुरिसवेरेणं पुढे?, से नूणंगोयमा! कञ्जमाणे कडे संधिज्जमाणे संधिए निव्वत्तिज्जमाणे निव्वत्तिए निसिरिजमाणे निसिट्टेत्ति वत्तव्वं सिया?, हंता भगवं! कज्जमाणे कडे जाव निसिट्टेत्ति वत्तव्वं सिया, सेतेणटेणं गोयमा! जे मियं मारेइसे मियवरेणं पुढे,जे पुरिसंमारेइ से पुरिसवेरेणं पुढे // 4 // अंतो छण्हं मासाणं मरइ काइयाए जाव पंचहि किरियाहिं पुट्टे, बाहिं छण्हं मासाणं मरइकाइयाए जाव पारियावणियाए चउहि किरियाहिं पुढे / / सूत्रम् 68 // पुरिसे णं भंते! पुरिसं सत्तीए समभिधंसेज्जा सयपाणिणा वा से असिणा सीसं छिंदेज्जा तओ णं भंते! से पुरिसे कतिकिरिए?, गोयमा! जावंचणं से पुरिसे तं पुरिसं सत्तीए अभिसंधे(धंसे?)इसयपाणिणा वा से असिणा सीसं छिंदइ तावंचणं से पुरिसे काइ० अहि० जाव पाणाइ० पंचहिं किरियाहिं पुढे, आसन्नवहएण य अणवकंखवत्तिएणं पुरिसवेरेणं पुढे ॥५॥॥सूत्रम् 69 // कच्छंसि व त्ति कच्छे नदीजलपरिवेष्टिते वृक्षादिमति प्रदेशे, दहंसि व त्ति ह्रदे प्रतीते, उदगंसि व त्ति, उदके जलाश्रयमात्रे दवियंसि व त्ति द्रविके तृणादिद्रव्यसमुदाये, वलयंसि व त्ति वलये वृत्ताकारनद्याधुदक कुटिलगतियुक्तप्रदेशे, नूमंसि व त्ति नूमेऽवतमसे गहणंसि वत्ति गहने वृक्षवल्लीलतावितानवीरुत्समुदाये गहणविदुगंसि वत्ति गहनविदुर्गे पर्वतैकदेशावस्थितवृक्षवल्ल्यादिसमुदाये पव्वयंसि वत्ति पर्वते, पव्वयविदुग्गंसि वत्ति पर्वतसमुदाये वणंसि वत्ति वने, एकजातीयवृक्षसमुदाये वणविदुग्गंसि व त्ति नानाविधवृक्षसमूहे, मिगवित्तीए त्ति मृगैर्हरिणैः, वृत्ति विका यस्य स मृगवृत्तिकः, स च मृगरक्षकोऽपि स्यादित्यत आह मियसंकप्पे त्ति मृगेषु सङ्कल्पो वधाध्यवसायः छेदनं वा यस्यासौ मृगसङ्कल्पः, स च चलचित्ततयापि // 156 //
SR No.600443
Book TitleVyakhyapragnaptisutram Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDivyakirtivijay
PublisherShripalnagar Jain Shwetambar Murtipujak Derasar Trust
Publication Year2012
Total Pages578
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_bhagwati
File Size39 MB
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