________________ श्रीभगवत्यङ्ग श्रीअभय वृत्तियुतम् भाग-१ // 155 // 1 शतके उद्देशक:८ सूत्रम् 65-69 मृगवधादो क्रिया प्रश्राः / से पुरिसे कच्छंसि वा 10 (12) जाव कूडपासं उद्दाइ तावंच णं से पुरिसे सिय तिकि० सिय चउ० सिय पंच०, सेकेणटेणं सिय ति. सिय च० सिय पं०?, गोयमा! जे भविए उद्दवणयाए णो बंधणयाए णो मारणयाए तावं च णं से पुरिसे काइयाए अहिगरणियाए पाउसियाए तिहिं किरियाहिं पुढे, जे भविए उद्दवणयाए विबंधणयाए विणो मारणयाए तावंच णं से पुरिसे काइयाए अहिगरणियाए पाउसियाए पारियावणियाए चउहि किरियाहिं पुढे, जे भविए उद्दवणयाए वि बंधणयाए वि मारणयाए वि तावं च णं से पुरिसे काइयाए अहिगरणियाए पाउसियाए जाव पंचहिं पुढे, से तेणटेणं जाव पंचकिरिए, // 1 // // सूत्रम् 65 // पुरिसे णं भंते! कच्छंसि वा जाव वणविदुग्गंसि वा तणाई ऊसविय 2 अगणिकायं निस्सरइ तावं च णं से भंते! से पुरिसे कतिकिरिए?,गोयमा! सिय तिकिरिए सिय चउकि० सिय पंच०,सेकेणटेणं?, गोयमा जे भविए उस्सवणयाए तिहिं, उस्सवणयाए वि निस्सिरणयाए विनोदहणयाए चउहिं, जे भविए उस्सवणयाए वि निस्सिरणयाए वि दहणयाए वितावं च णं से पुरिसे काइयाए जाव पंचहिं किरियाहिं पुढे, से तेण० गोयमा! // 2 // / सूत्रम् 66 / / पुरिसे णं भंते! कच्छंसि वा जाव वणविदुगंसि वा मियवित्तीए मियसंकप्पे मियपणिहाणे मियवहाए गंता एए मियेत्तिकाउं अन्नयरस्स मियस्स वहाए उसुंनिसिरइ, ततोणंभंते! से पुरिसे कइकिरिए?, गोयमा! सिय तिकिरिए सिय चउकिरिए सिय पंचकिरिए, सेकेणट्टेणं?, गोयमा! जे भविए निस्सिरणयाए नो विद्धंसणयाए विनोमारणयाए तिहिं,जे भविए निस्सिरणयाए वि विद्धंसणयाए विनो मारणयाए चउहि, जे भविए निस्सिरणयाए वि विद्धंसणयाए वि मारणयाए वि तावं च णं से पुरिसे जाव पंचहिं किरियाहिं पुढे, से तेणटेणं गोयमा! सिय तिकिरिए सिय चउकिरिए सिय पंच किरिए॥३॥॥ सूत्रम् 67 // पुरिसे णं भंते! कच्छंसि वा जाव अन्नयरस्स मियस्स वहाए आययकन्नाययं उसु आयामेत्ता चिट्ठिजा, अन्नयरे पुरिसे मग्गओ // 155 //