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________________ श्रीअनुयोगद्वारंमलधारि श्रीहेमचन्द्रसूरि वृत्तियुतम्। // 336 // [1] उपक्रमः / / शा० उपक्रमः। 1.3 प्रमाणम्। द्रव्यादिचतुर्भेदाः तेणं साहिज्जइ जहा-सुवुट्ठी आसि, सेतं तीतकालगहणं / सूत्रम् 451 / / से किंतं पडुप्पण्णकालगहणं?, 2 साहुंगोयरग्गगयं विच्छड्डियपउरभत्तपाणं पासित्ता तेणं साहिज्जइ जहा सुभिक्खं वई, सेतं पडुप्पण्णकालगहणं // सूत्रम् 452 // से किं तं अणागयकालगहणं?, 2 अब्भस्स निम्मलत्तं कसिणा य गिरी सविजया मेहा / थणियं वाउब्भामो संझा रत्ताय णिद्धा य॥११८।। (117) वारुणं वा माहिंदं वा अण्णयरं वा पसत्थं उप्पायं पासित्ता तेणं साहिज्जह जहा- सुवुट्ठी भविस्सइ, से तं अणागतकालगहणं॥सूत्रम् 453 // एएसिं चेव विवञ्चासे तिविहं गहणं भवति, तंजहा- तीतकालगहणं पड़प्पण्णकालगहणं अणागयकालगहणं // सूत्रम् 454 // से किं तं तीतकालगहणं?, नित्तणाईवणाई अनिष्फण्णसस्सं च मेतिणीं सुक्काणि य कुंड सर णदी दह तलागाई पासित्ता तेणं साहिज्जति जहा-कुवुट्ठी आसी, सेतं तीयकालगहणं ॥सूत्रम् 455 // से किं तं पडुप्पण्णकालगहणं?, 2 साहुंगोयरग्गगयं भिक्खं अलभमाणं पासित्ता तेणं साहिज्जइ जहा-दुभिक्खं वट्टइ, सेतं पडुप्पण्णकालगहणं / सूत्रम् 456 // से किंतं अणागयकालगहणं?,२(धूमायंति दिसाओसं(?)विअमेइणी अपडिबद्धा। वाया नेरइआखलु कुवुट्टीमेवं निवेयंति / / 118 // ) अग्गेयंवा वायव्वंवा अण्णयरंवा अप्पसत्थं उप्पायंपासित्ता तेणंसाहिज्जइजहा-कुवुट्ठीभविस्सइ,सेतं अणागतकाल®सी। 0 अतीय। 0 खेल रत्ता पणिट्ठा(द्धा) य...वारुणं वा महिंद...। ७जा। त्ति। वा। लेणईदीहिआ तडागाई। 7 कौंसातर्गता गाथा मु. प्रतौ वर्तते। सत्रम 448-457 1.3.4 भावप्रमाणमा 1.3.4.1 गण प्र०। 1.3.4.1.1 जीवगण प्र०। 1.3.4.1.1.1 जानग०प्र०। 1.3.4.1.1.1.2 अनुमान गु०प्र० 1.3.4.1.1.1.2.3 दृष्टसाधर्म्यवद्। तस्य सामान्यविशेषतोदृष्टमेति विभेदौ / तयोः सोदाहरण व्याख्यानम्। // 336 //
SR No.600442
Book TitleAnuyogdwar Sutram
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDivyakirtivijay
PublisherShripalnagar Jain Shwetambar Murtipujak Derasar Trust
Publication Year2012
Total Pages450
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_anuyogdwar
File Size31 MB
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